जबलपुर।मध्यप्रदेश हाईकोर्ट चीफ जस्टिस रवि विजय कुमार मलिमथ व जस्टिस विशाल मिश्रा की युगलपीठ में दाखिल जवाब में सरकार ने बताया गया कि राज्य मानव अधिकार आयोग के अध्यक्ष की चयन के लिए काम जारी है. राज्य सरकार ने मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोजगार का निषेध और उनके पुनर्वास अधिनियम 2013 के संबंध में अब तक की गई कार्रवाई के संबंध में भी स्टेटस रिपोर्ट पेश की.
ग्वालियर चैम्बर हादसे को हाईकोर्ट ने संज्ञान में लिया
गौरतलब है कि ग्वालियर के बिरला नगर में सीवर चैम्बर की सफाई के दौरान जहरीली गैस के रिसाव होने से दो श्रमिकों की मौत के मामले को हाई कोर्ट ने संज्ञान में लेते हुए इसकी सुनवाई जनहित याचिका के रूप में करने के निर्देश दिये थे. संज्ञान याचिका में कहा गया था कि यह एक दिल दहलाने वाली घटना है. सीवर चैम्बर साफ करने गये दो मजदूर जहरीली गैस के रिसाव की चपेट में आ गये. बचाव के प्रयास के बावजूद मदद पहुंचने से पहले उनकी मौत हो गयी. इसी तरह की घटनाएं मध्य प्रदेश में कई जगहों पर हुई हैं.
सीवर लाइन में श्रमिकों की सुरक्षा के इंतजाम क्यों नहीं
याचिका में इस बात का उल्लेख किया गया कि गरीब श्रमिकों को गटर या सीवर लाइन में प्रवेश करने के लिए भेजते समय उचित उपकरण उपलब्ध नहीं कराए जाते. ऐसे लोग समाज के निचले तबके से आते हैं. याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट मित्र अधिवक्ता आकाश चौधरी की तरफ से युगलपीठ को बताया गया था कि मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोजगार का निषेध और उनके पुनर्वास अधिनियम 2013 के तहत सरकार को विभिन्न कमेटी का गठन करना था. एक्ट के परिपालन के लिए कमेटी की समय-समय पर बैठक का आयोजित होनी थी.