जबलपुर। हाईकोर्ट जस्टिस विशाल धगट की एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है"जघन्य अपराध में आपसी समझौते के आधार पर आरोप-पत्र को निरस्त नहीं किया जा सकता." याचिकाकर्ता के खिलाफ दर्ज अपराध में 10 साल से लेकर आजीवन कारावास की सजा प्रावधान है. एकलपीठ ने इस आदेश के साथ याचिका को खारिज कर दिया.
गंभीर अपराध में आरोप पत्र निरस्त करने के लिए याचिका
भोपाल निवासी जसप्रीत सिंह चीमा की तरफ से दायर की गयी याचिका में आपराधिक प्रकरण में दायर आरोप-पत्र को निरस्त किये जाने की राहत चाही गयी थी. याचिका में कहा गया था कि उसका मामूली बात पर अनावेदक सौरभ चौकसे से विवाद हो गया था. उसकी शिकायत पर पिपलानी थाने में धारा 326 के तहत आपराधिक प्रकरण दर्ज किया गया था. दोनों के बीच आपसी समझौता हो गया है. आपसी समझौता होने के कारण प्रकरण में दायर आरोप-पत्र को निरस्त किया जाए.