गिरिडीहःसीसीएल गिरिडीह एरिया के गिरिडीह माइंस से कोयला उत्पादन जल्द शुरू होने की दिशा में अहम निर्णय लिया गया है. निर्णय के अनुसार अब प्रबंधन और जिला प्रशासन माइंस ऑपरेटिंग 1980 के एक्ट पर काम करेगी. यह निर्णय रविवार को गिरिडीह परिसदन भवन में आयोजित बैठक में लिया गया है.
बैठक में राज्यसभा सांसद डॉ. सरफराज अहमद, गांडेय विधायक कल्पना सोरेन, गिरिडीह विधायक सुदिव्य कुमार, डीसी नमन प्रियेश लकड़ा, गिरिडीह कोलियरी के परियोजना पदाधिकारी संजय कुमार सिंह मौजूद थे. बैठक में दोनों विधायक ने माइंस आरंभ करने की दिशा में अब तक किए गए कार्य की जानकारी ली.
नए अधिनियम के तहत मिलेगा एनओसी
बैठक में सीसीएल के पदाधिकारी एसके सिंह ने बताया कि पूर्व में न्यायालय का एक निर्णय आया था. जिसमें कहा गया था कि जमीन पर 1980 से पहले जहां खदान संचालित ( ब्रोकन लैंड ) था, वहां वन अधिनियम लागू नहीं होगा. अब यह निर्णय एक्ट बन गया है. गिरिडीह माइंस भी 1980 से पहले संचालित है. ऐसे में इस माइंस पर वन अधिनियम लागू नहीं होता है.
सीसीएल के पदाधिकारी एसके सिंह और शम्मी कपूर ने इससे जुड़े कागजात भी मौजूद जनप्रतिनिधि के अलावा डीसी के समक्ष रखे. कागजात देखने के उपरांत सांसद, विधायक, डीसी ने मौके पर मौजूद डीएफओ मनीष कुमार तिवारी को इस दिशा में अग्रेतर कार्रवाई करने को कहा.
विधायक सुदिव्य कुमार ने दी जानकारी
बैठक के बाद विधायक सुदिव्य कुमार ने मीडिया को जानकारी दी. उन्होंने बताया कि ओपेनकास्ट माइंस को फिर से शुरू करने के लिए जिलास्तरीय बैठक में कई निर्णय लिए गए. साथ ही कई बिंदु पर विस्तार से चर्चा की गई है. चर्चा में यह बात सामने आयी कि नई गाइडलाइन और सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के आलोक में यदि कोई भूमि 1980 से पहले ब्रोकन लैंड है तो ऐसी स्थिति में वन विभाग की आपत्ति जायज नहीं हो सकती है.
ऐसे में सीसीएल को 1980 से पहले के दस्तावेज वन विभाग को सुपुर्द करने का निर्देश दिया गया है. परियोजना के परिचालन से पर्यावरण क्षति के आकलन के लिए माइनिंग प्लान को रेडी करने का निर्देश सीसीएल को दिया गया है. दोनों ही विषयों पर सीसीएल के पदाधिकारी ने यह कहा है कि एक सप्ताह के अंदर दोनों ही विषयों के कागजात डीएफओ के सामने प्रस्तुत किए जाएंगे.