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मध्य प्रदेश में 20685 करोड़ की राशि का हिसाब गड़बड़, CAG रिपोर्ट में बड़ा खुलासा - MP 10 Departments Irregularities - MP 10 DEPARTMENTS IRREGULARITIES

कैग की रिपोर्ट में बड़ा खुलासा हुआ है. मध्य प्रदेश के 10 विभागों में हजारों करोड़ों की राशि का हिसाब गड़बड़ है. कितनी राशि कहां खर्च की गई है, इसकी इन विभागों ने नहीं बताया है.

MP 10 DEPARTMENTS IRREGULARITIES
मध्य प्रदेश में 20685 करोड़ की राशि का हिसाब गड़बड़ (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jul 11, 2024, 7:26 PM IST

Updated : Jul 11, 2024, 11:02 PM IST

भोपाल।मध्य प्रदेश में कृषि, खाद्य नागरिक, पंचायत सहित 28 विभागों की तमाम योजनाओं पर सरकार ने खूब पैसा खर्च किया, लेकिन यह विभाग 20 हजार 685 करोड़ रुपए का हिसाब ही नहीं दे पा रहे. सबसे ज्यादा 8 हजार 737 करोड़ का हिसाब पंचायती राज विभाग का बकाया है. जिसमें विभाग ने नहीं बताया कि इस राशि का खर्च किस प्रकार किया गया है. इसको लेकर महालेखापरीक्षक ने अपनी रिपोर्ट में कड़ी आपत्ति जताई है. ऑडिट रिपोर्ट में ऐसे 10 विभागों को सूचीबद्ध किया गया है.

किन विभागों में कितनी हुई गड़बड़ियां (ETV Bharat)

इन 10 विभागों में सबसे ज्यादा गड़बड़ी

मध्य प्रदेश के 10 विभागों में सबसे ज्यादा गड़बड़ी पाई गई है. गड़बड़ी का खुलासा कैग की रिपोर्ट में हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक नियमों में प्रावधान है कि विभागों को सहायता अनुदान के मामलों में विभागीय अधिकारियों को कैग को हर साल 30 सितंबर तक उपयोगिता प्रमाण-पत्र यानी यूटिलाइजेशन रिपोर्ट भेजनी होती है, लेकिन 31 मार्च 2023 तक प्रदेश के 28 विभागों द्वारा सहायता अनुदान के रूप में जारी की गई राशि के मामलों में 20 हजार 685 करोड़ के उपयोगिता प्रमाण पत्र ही प्रस्तुत नहीं किए. इसमें सबसे गंभीर तथ्य तो यह है कि 13 हजार 205 करोड़ की राशि के उपयोगिता प्रमाण-पत्र तक 9 साल से ज्यादा समय से पेंडिंग हैं. इनमें सबसे ज्यादा गड़बड़ी 10 विभागों में बताई गई है.

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कैग ने कहा-कहां खर्च हुई राशि, यह चिंता का विषय

कैग ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि कुल 19 हजार 965 उपयोगिता प्रमाण-पत्र प्रस्तुत किए जाने थे. इसमें से 98 फीसदी उपयोगिता प्रमाण पत्र 2014-15 के पहले के हैं. विभागीय अधिकारियों ने अभी तक यह नहीं बताया कि पिछले सालों में खर्च की गई 20 हजार 685 करोड़ की राशि किस प्रकार खर्च की गई. इसलिए यह चिंता का विषय है, क्योंकि इसमें मुख्य योजनाओं के कार्यांवयन के लिए दी जाने वाली राशि है और इसकी कोई गारंटी नहीं है कि जिस उद्देश्य के लिए यह राशि दी गई, उससे उद्देश्य प्राप्त हुआ है. सीएजी ने इस मामले में धोखाधड़ी या पैसों के गलत तरीके से उपयोग में लिए जाने से भी इंकार नहीं किया है. सीएजी ने राज्य सरकार को इस मामले में कठोर निगरानी तंत्र स्थापित करने की सलाह दी है.

Last Updated : Jul 11, 2024, 11:02 PM IST

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