लखनऊः उत्तर प्रदेश मोटर यान नियमावली 1998 में परिवहन यान के ड्राइवर को बैज लगाना अनिवार्य किया गया है. लेकिन इस नियमावली का उत्तर प्रदेश में ही पालन नहीं हो रहा है. 26 साल में परिवहन विभाग यह व्यवस्था पूरे प्रदेश में लागू नहीं कर पाया है, सिर्फ एनसीआर तक ही सीमित है. यूपी में कमर्शियल वाहन ड्राइवर बैज की तो छोड़िए कमर्शियल डीएल ही लेकर वाहन चला रहे हों, यही अपने में बड़ी बात है. चेकिंग के दौरान तमाम ऐसे कमर्शियल वाहन चालक अधिकारियों की गिरफ्त में आए हैं, जिनके पास कमर्शियल लाइसेंस भी नहीं है. अगर बैज की व्यवस्था लागू हो तो ऐसे ड्राइवर आसानी से पहचान में आ जाएं. अब परिवहन विभाग इस व्यवस्था को लागू करने की तैयारी कर रहा है.
ड्राइवरों को बैज क्यों जरूरीःदरअसल, मोटर यान नियमावली में प्रावधान है कि व्यावसायिक वाहन के ड्राइवर को अपने सीने के बाएं तरफ एक धातु या प्लास्टिक का बैज लगाना अनिवार्य है. ऐसे बैज पर जारी करने वाले प्राधिकारी की पहचान संख्या और नाम सहित शब्द "ड्राइवर" लिखा होना चाहिए. परिवहन यान के ड्राइवर के बैज का व्यास सात सेंटीमीटर होना चाहिए. इसके साथ ही जिले का नाम जहां से प्राधिकार जारी किया गया है उसका विवरण और परिवहन यान के ड्राइवर की संख्या बैज पर दर्ज होनी चाहिए. जो इस बात की पुष्टि करे कि कमर्शियल वाहन के ड्राइवर के पास हैवी ड्राइविंग लाइसेंस है. उत्तर प्रदेश में परिवहन विभाग यह व्यवस्था लागू करें तो जनता को ड्राइवर के बैज लगे होने का एक सीधा सा फायदा मिल सकता है. बैज देखते ही कमर्शियल वाहन से यात्रा शुरू करने जा रहे यात्री को भी पता चल जाए कि कुशल ड्राइवर है. दुर्घटना के चांस काफी कम हो सकते हैं.
बैज जारी करने के मानकःबैज जारी करने के लिए फीस 10 रुपये निश्चित है. अगर ड्राइवर से बैज खो जाता है या नष्ट हो जाता है तो दूसरा बनवाने के लिए 20 का भुगतान करना होगा. नया बैज या बैज की दूसरी प्रति जारी करने वाले प्राधिकारी को वापस लौटाने पर ड्राइवर को 10 वापस भी करने की व्यवस्था की गई है. यह भी व्यवस्था है कि कोई ड्राइवर अपना बैज किसी अन्य व्यक्ति को नहीं दे सकता है.