मुरैना: अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग के आरक्षण में उप वर्गीकरण करने और क्रीमीलेयर लगाने के विरोध में कुछ संगठनों के आह्वान पर बुधवार को भारत बंद का आह्वान किया गया. भारत बंद के दौरान मुरैना शहर में कहीं कोई उपद्रव न हो इसके लिए पुलिस का कड़ा पहरा रहा. तमाम पुलिस के अधिकारी शहर में सुबह से ही गश्त करते रहे. बहुजन समाजवादी पार्टी के नेतृत्व में अनुसूचित जाति जनजाति वर्ग द्वारा बुलाया गये भारत बंद का जिले में मिला-जुला असर देखने को मिला.
आक्रोश रैली निकाल पहुंचे कलेक्ट्रेट
बहुजन समाज पार्टी, भीम आर्मी सहित कई अन्य संगठनों के प्रतिनिधि सर्किट हाउस पर एकत्रित हुए और बसपा पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रमाकांत पिप्पल के नेतृत्व में पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस से आक्रोश रैली निकाली. रैली शांतिपूर्ण तरीके से कलेक्ट्रेट पहुंची और राष्ट्रपति के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा और ज्ञापन में मांगों को पढ़कर सुनाया गया.
इस दौरान प्रदेश अध्यक्ष रमाकांत पिप्पल ने कहा कि "हम लोगों ने शांतिपूर्ण तरीके से अपना ज्ञापन दिया है. अगर सरकार मांगें नहीं मानती है तो आगामी दिनों में रणनीति बनाकर शीर्ष नेतृत्व के आदेश के बाद उग्र आंदोलन करेंगे." बता दें कि एससी-एसटी वर्ग को आरक्षण के संबंध में हाल ही में उच्चतम न्यायालय के पारित निर्णय के विरोध में यह आह्वान किया गया है.
अलर्ट मोड पर रहा प्रशासन
भारत बंद के दौरान किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए पुलिस पूरी तरह से मुस्तैद रही. मुरैना शहर में कहीं कोई उपद्रव न हो इसके लिए कलेक्टर अंकित अस्थाना और एसपी समीर सौरभ पहले से ही अलर्ट थे. मंगलवार की देर शाम शहर में फ्लैग मार्च निकाला गया. वहीं, पुलिस ने आंदोलन संगठनों से बातचीत करके शांतिपूर्ण तरीके से बंद रखने का आह्वान किया था. जिसके चलते बुधवार को भारत बंद के दौरान शहर में सभी दुकानें, बाजार बंद रहे. कलेक्टर अंकित अस्थाना ने बताया कि "भारत बंद के दौरान कहीं भी कोई उपद्रव नहीं हुआ."