चित्तौड़गढ़.राजस्थान में शुक्रवार को दूसरे चरण के मतदान के साथ ही वोटिंग प्रक्रिया संपन्न हो गई. दूसरे चरण में चित्तौड़गढ़ संसदीय क्षेत्र में भी मतदान हुए. वहीं, मतदान बढ़ाने के लिए निर्वाचन विभाग और प्रशासन ने सक्रियता दिखाई और मतदाताओं को घरों से पोलिंग बूथों तक पहुंचाने के लिए तरह-तरह के कैंपेन चलाए गए. नतीजतन पहले चरण की तुलना में दूसरे चरण के मतदान प्रतिशत में बढ़ोतरी दर्ज की गई. इसके लिए बीएलओ के साथ-साथ हर बूथ पर अतिरिक्त कर्मियों को लगाया गया था. यही वजह रही कि मतदान प्रतिशत पहले चरण के मुकाबले करीब 10 प्रतिशत तक बढ़ा. इधर, चित्तौड़गढ़ संसदीय क्षेत्र में 67.83 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया, जो पिछले चुनाव से 3.78 प्रतिशत कम है. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में 72.39 फीसदी मतदान हुआ था. इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी सीपी जोशी ने कांग्रेस के गोपाल सिंह इडवा को 5 लाख 76 हजार रिकॉर्ड मतों से हराया था.
हालांकि, इस बार मतदान 3.78 प्रतिशत कम रहा है, लेकिन 65 प्रतिशत से अधिक मतदान को भाजपा अपने पक्ष में मान रही है. वरिष्ठ पत्रकार जेपी दशोरा की मानें तो इस पूरे चुनाव में मतदाताओं की उदासीनता देखने को मिली. बावजूद इसके प्रशासनिक सक्रियता के चलते मतदान प्रतिशत में करीब 5 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है.
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मतदान में निम्बाहेड़ा अव्वल, वल्लभनगर रहा फिसड्डी :जिला निर्वाचन अधिकारी आलोक रंजन की ओर से जारी अंतरिम आंकड़ों को देखा जाए तो क्षेत्र में सर्वाधिक मतदान निम्बाहेड़ा में हुआ, जहां 75.61 फीसदी वोटिंग हुई. यह आंकड़ा पिछली बार से करीब एक प्रतिशत कम है, लेकिन पिछली लोकसभा चुनाव की अपेक्षा बेगूं क्षेत्र में सबसे कम मतदान दर्ज किया गया. पिछले चुनाव में बेगूं में 76.38 प्रतिशत मतदान हुआ था, जबकि इस बार 70 प्रतिशत मतदान हुआ, जो करीब 6 प्रतिशत कम है. वहीं, मावली में भी मतदान में 6 प्रतिशत की कमी देखी गई. संसदीय क्षेत्र के प्रतापगढ़ में 73.74, बेगूं में 70.04, मावली में 67.84, चित्तौड़गढ़ में 65.49, कपासन में 65.46, वल्लभनगर में 62.05 और बड़ीसादड़ी में 64.76 प्रतिशत मतदान हुआ.
जानें क्यों गिरा मत प्रतिशत :वरिष्ठ पत्रकार जेपी दशोरा की मानें तो पिछले चुनाव में बिना किसी अतिरिक्त प्रशासनिक सक्रियता के लोकसभा चुनाव में मतदान प्रतिशत में भारी इजाफा हुआ था. संसदीय क्षेत्र में 72.39 प्रतिशत मतदान हुए थे. पिछले चुनाव में मोदी फेक्टर और पुलवामा अटैक के चलते सभी वर्ग ने जमकर मतदान किया था. इस चुनाव को लेकर मतदाताओं में कोई खासा उत्साह नहीं देखा गया. वहीं, न ही किसी प्रकार की लहर का प्रभाव देखने को मिला. यही कारण है कि मत प्रतिशत में गिरावट दर्ज गई. राज्य के दोनों ही प्रमुख दल भाजपा-कांग्रेस के कार्यकर्ताओं में मतदान को लेकर कोई होड़ भी देखने को नहीं मिली. वहीं, पिछले चुनाव की तरह भाजपा ने भी अतिरिक्त शक्ति नहीं लगाई. बड़ी बात यह रही कि मतदान के दौरान मौसम ने भी साथ दिया. बादल छाए रहने से तापमान में गिरावट के चलते भी मत प्रतिशत में इजाफा हुआ. हालांकि, पिछले चुनाव में राजसमंद के गोपाल सिंह इडवा को लेकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं में कोई अतिरिक्त उत्साह नहीं था, लेकिन इस बार स्थानीय प्रत्याशी के तौर पर उदयलाल आंजना के मैदान में होने से कांग्रेस की सक्रियता देखी गई.
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महिला और आदिवासी मतों पर रहेगा दारोमदार :निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के अनुसार 2024 के चुनाव में महिलाओं ने 66.85 फीसदी मतदान किया है, जो पुरुषों के मुकाबले करीब 4 प्रतिशत कम है. माना जा रहा है कि महिला मतों का झुकाव और इसके साथ ही प्रतापगढ़ और बड़ीसादड़ी क्षेत्र के आदिवासी मतों का झुकाव जिस ओर होगा, उसी पार्टी को इसका लाभ मिलने की संभावना है.