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पीजीआई लखनऊ में AI तकनीक से मरीजों की मॉनिटरिंग, सटीक एनेस्थीसिया डोज की देता जानकारी - SPGI Lucknow

मरीज के शरीर में हो रहे बदलाव की तुरंत देता है जानकारी, एसजीपीजीआई के एनेस्थीसिया विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. प्रभात तिवारी ने दी जानकारी,

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : 5 hours ago

AI तकनीक से मरीजों की मॉनिटरिंग
AI तकनीक से मरीजों की मॉनिटरिंग (Etv Bharat)

लखनऊ: एनेस्थीसिया में तमाम तकनीक आ चुकी है लेकिन (संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान) एसजीपीजीआई इस मामले में एक कदम हर संस्थान से आगे हैं. दरअसल, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तकनीक की मदद से यहां पर मरीजों की मॉनिटरिंग की जाती है. मॉनिटरिंग के दौरान मरीज के शरीर में हो रहे बदलाव को तुरंत एआई बताता है. इसके हिसाब से सर्जरी के समय मरीज को कितना डोज एनेस्थीसिया देना है, इसका सटीक पता चलता है. ये बातें ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान एसजीपीजीआई के एनेस्थीसिया विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो. प्रभात तिवारी ने बताई.

प्रो. प्रभात तिवारी ने कहा कि आम इंसान को लगता है कि डॉक्टर ने मरीज को एक इंजेक्शन लगाया और काम खत्म हो गया और इतनी देर में ऑपरेशन हो जाएगा. लेकिन ऐसा नहीं होता है. एक एनेस्थीसिया विशेषज्ञ का काम बिल्कुल भी आसान नहीं होता है. मरीज की फिजियोलॉजी, उसकी हिस्ट्री को जानना और जब तक ऑपरेशन होता है, तब तक एनेस्थीसिया एक्सपर्ट ओटी में सर्जन के साथ मौजूद रहता है. एनेस्थीसिया एक्सपर्ट ओटी में मौजूद मरीज की पूरी जानकारी रखता है. मरीज को क्या बीमारी है, क्या दिक्कत है, पहले उसे क्या समस्या थी. कभी उसने कोई दवा खाई है. कभी कोई एलर्जी रही है. परिवार में किसी को कोई बीमारी रही है. अनुवांशिक तो नहीं है. वर्तमान में उसकी क्या दवाई चल रही है. सारी चीजों की जानकारी होने के बाद विशेषज्ञ वर्तमान दिक्कत के हिसाब से एनेस्थीसिया का डोज निर्धारित करता है. यानी उसने एक प्रक्रिया को तैयार किया है, उसके बाद सर्जन ऑपरेशन करता है.

प्रो. प्रभात तिवारी. (Video Credit; ETV Bharat)
प्रो. प्रभात तिवारी ने बताया कि आज के समय में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बहुत सुनने में आ रहा है. हर क्षेत्र में इसका इस्तेमाल किया जा रहा है और हमारे विभाग में भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से सर्जरी की जा रही है. लेकिन लोगों को समझना यह होगा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस एक एल्गोरिथम है. जिससे कम समय में अधिक काम होता है. इस समय तमाम सिस्टम से हम मरीज के फिजियोलॉजी को समझते हैं. उनमें भी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इसी भाव में आ रहा है. एल्गोरिदम में मरीज के सभी अंग की गणना होती है. जैसे कि हार्ट रेट, ब्लड प्रेशर, दिमाग का डाटा व दिमाग की नसे किस तरह से दौड़ रहे हैं. उन सब डाटा को एआई एकत्रित करता है. इस आधार पर एक्सपर्ट उस गणना को देखता है. एआई तकनीक की मदद से एक्सपर्ट को काफी मदद मिलती है. ऑपरेशन छोटा हो या बड़ा हो लेकिन अगर तकनीक और उपकरण बेहतर है तो सर्जरी सफल रहती है. प्रो. प्रभात तिवारी ने बताया कि ठीक इसी तरह रोबोटिक सर्जरी भी है. आम जनता को लगता है कि एक रोबोट आता है और मरीज की सर्जरी करता है और फिर चला जाता है. लेकिन ऐसा नहीं है, रोबोट को एक एक्सपर्ट ही मॉनिटर करता है. सिस्टम पर बैठता है और सिस्टम से रोबोट को ऑपरेट करता है. रोबर्ट मरीज का ऑपरेशन करता है. अप्रत्यक्ष तौर पर एक्सपर्ट रोबोट को मॉनिटर करता है. बहुत ही बारीकी से रोबोट ऑपरेशन करता है. इस समय तमाम सर्जियां रोबोटिक तरीके से हो रही है. इसमें जरूरी है कि विशेषज्ञ एक्सपर्ट रहे और तुरंत तुरंत में मरीज के शरीर में होने वाले बदलाव को एक्सपर्ट देख सकता है. उन्होंने कहा कि पहले के समय में एक से डेढ़ घंटा पहले मरीज की सारी जांच हो जाती थी. जिसमें बीपी, शुगर, हार्ट रेट, दिमाग की गतिविधियों की जांच होती थी. लेकिन अब एआई और रोबोटिक सर्जरी के जरिए मरीज के शरीर में जो बदलाव हुआ है, उसके बारें में तुरंत विशेषज्ञ को पता चल जाता है, उस आधार पर सुरक्षित सर्जरी मरीज की होती है. इसे भी पढ़ें-आईसीयू-वेंटिलेटर में भर्ती मरीजों को संक्रमण की आशंका अधिक, ऐसे कर सकते बचाव

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