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स्पोर्ट्स कोटे से नौकरी पाने वाले बनेंगे कोच, मनसुख मांडविया का ऐलान, प्लेयर्स की मां हुईं सम्मानित - BHOPAL OPENED FIRST FIT INDIA CLUB

भोपाल के रवींद्र भवन में आयोजित क्रीडा भारतीय कार्यक्रम में मनसुख मांडविया और मोहन यादव पहुंचे. खिलाड़ियों की मां को सम्मानित किया गया.

BHOPAL OPENED FIRST FIT INDIA CLUB
स्पोर्ट्स कोटे से नौकरी पाने वाले बनेंगे कोच (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 19, 2025, 9:50 PM IST

भोपाल: स्पोर्ट्स कोटे से सरकारी नौकरी कर रहे कर्मचारी-अधिकारियों को सरकार खेल मैदान मैदान में वापस भेजने की तैयारी कर रही है. भोपाल में क्रीड़ा भारती द्वारा आयोजित जीजीमाता सम्मान समारोह में केन्द्रीय खेल मंत्री मनसुख मांडविया ने इसके संकेत दिए हैं. उन्होंने कहा कि "कई लोग स्पोर्ट्स कोटे से नौकरी पाकर रेलवे में टिकट काट रहे हैं. देश में ऐसे कर्मचारी अधिकारियों की संख्या करीबन 25 हजार है. ऐसे स्पोर्ट्स पर्सन को ट्रेनिंग लेकर कोच के रूप में खेल मैदान में होना चाहिए." इसकी तैयारी की जा रही है, कार्यक्रम में देश का नाम रोशन करने वाले खिलाड़ियों की माताओं का सम्मान किया गया.

खिलाड़ियों की मां सम्मानित

भोपाल के रवीन्द्र भवन में आयोजित क्रीड़ा भारती कार्यक्रम में देश की पहली महिला जिमनास्ट दीपा कर्माकर की मां गौरी कर्माकर, ओलंपियन नीरज चौपड़ा की मां सरोज चौपड़ा, हॉकी खिलाड़ी श्रीजेश की मां ऊषा कुमारी, विश्व चैम्पियन मुक्केबाज लवनीना की मां ममानी देवी, पैराशूटर अवनी लेखा की मां श्वेता लेखा को सम्मानित किया गया. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में आरएसएस के सरकार्यवाहक दत्तात्रेय होसबाले, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव, केन्द्रीय खेल मंत्री मनसुख मांडविया और प्रदेश के खेल मंत्री विश्वास सारंग मौजूद थे.

विदेशों में ट्रेनिंग लेकर तैयार होंगे कोच

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए केन्द्रीय खेल मंत्रीने कहा कि "देश में अच्छे कोच तैयार हों, इसके लिए उन्हें विदेश में ट्रेनिंग दिलाने की योजना बनाई जा रही है. इसी तरह 9 साल की उम्र से प्रतिभाशाली खिलाड़ियों को खोजकर उन्हें खेल के लिए तैयार किए जाने का प्रयास किया जा रहा है. इसके लिए खेलो इंडिया अभियान चलाया जा रहा है."

पैराओलंपियन अवनी की मां बोली, मां विश्वास पैदा करती है

पैराओलंपियन अवनी लेखा की मां श्वेता लेखा ने बातचीत में बताया कि "अवनी ने 2 गोल्ड लाकर इतिहास रचा है. मां होने के नाते मेरे लिए तो खुशी की बात है ही, लेकिन पूरे देश के लिए भी गर्व की बात है. उन्होंने कहा मां होने के नाते मेरा यही दायित्व था कि वह देश का अच्छा नागरिक बने और देश के लिए प्रेरणा बने. अवनी के सामने जब कठिन समय आया तो उसने अपनी कमियों को स्वीकारा और कभी हार नहीं मानी.

मैंने उसके विश्वास को कभी डिगने नहीं दिया, वह जब भी निराश होती तो मैंने हमेशा उसे विश्वास को बनाए रखने की कोशिश की. उसी विश्वास को बनाए रखकर उसने नया रास्ता खोजा और देश को गौरव दिलाने का काम किया. सभी खिलाड़ियों के मां का संघर्ष लगभग एक जैसा है. परिवार का महत्व ही यही है."

युवा हिम्मत न हारें, हार-जीत देश के खिलाड़ियों से सीखें

सरकार्यवाहक दत्तात्रेय होसबाले ने कहा कि "समाज का कर्तव्य है कि देश को गौरव दिलाने वालों के माता-पिता का सम्मान किया जाए. खिलाड़ी मैदान में खेलता है और जब पदक मिलता है, तो हमें गर्व महसूस होता है. मैडल लाने वाले खिलाड़ियों के पीछे परिश्रम करने वालों को पहचाने और उनका भी उतना ही सम्मान होना चाहिए. हर खेलों को सम्मान मिलना चाहिए. कुछ ही खेलों को सम्मान मिले यह ठीक नहीं है. आज खो-खो का वर्ल्ड चैम्पियशिप हो रहा है.

'बच्चों को वैज्ञानिकों और खिलाडियों से सीखना चाहिए'

ओलंपिक में पहले भारत के मेडल की संख्या बहुत कम होती थी, तो देखकर दुख होता था. लेकिन अब इसमें सुधार होता जा रहा है. आज युवाओं में नशा जैसी गलत आदतें बढ़ रही हैं. युवा जल्दी हिम्मत हार जाते हैं. इसके लिए घर के अंदर ऐसे संस्कार पैदा करें, ताकि बच्चे देश के बड़े वैज्ञानिकों, खिलाड़ियों को अपना आदर्श बनाएं और उनकी चुनौतियों से सबक सीखें."

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