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मेहरबान हुई मोहन यादव सरकार, साढ़े 15 लाख लोगों के खातों में आएंगे 115 करोड़ - Mohan Yadav Govt Bonus

मध्य प्रदेश के तेंदूपत्ता संग्राहकों के लिए बड़ी खबर है. मोहन यादव सरकार इस बार चार महीने पहले ही बोनस की राशि देने जा रही है. इस बार तेंदूपत्ता संग्राहकों को 115 करोड़ रुपए का बोनस बांटा जाएगा. मध्य प्रदेश में तेंदूपत्ता संग्रहण के काम से प्रदेश के करीबन 15 लाख 38 हजार सदस्य जुड़े हैं.

MOHAN YADAV GOVT BONUS
साढ़े 15 लाख लोगों के खातों में आएंगे 115 करोड़ (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 18, 2024, 2:09 PM IST

भोपाल: प्रदेश के 15.38 लाख तेंदूपत्ता संग्राहकों के खातों में इस माह बोनस की राशि आने वाली है. प्रदेश की मोहन सरकार इस बार चार माह पहले इस माह बोनस की राशि देने जा रही है. इस बार तेंदूपत्ता संग्राहकों को 115 करोड़ रुपए का बोनस बांटा जाएगा. इसके लिए श्योपुर जिले के आदिवासी ब्लॉक कराहल में होने वाले कार्यक्रम में यह राशि तेंदूपत्ता संग्राहकों के खातों में डाली जाएगी. यह विजयपुर विधानसभा क्षेत्र में आती है, जिसमें जल्द ही उपचुनाव होने जा रहे हैं. हालांकि बोनस की यह राशि पिछले बार से कम होगी. पिछले साल बोनस के रूप में 234 करोड़ की राशि बांटी गई थी.

119 करोड़ कम मिलेगा बोनस

मध्य प्रदेश में तेंदूपत्ता संग्रहण के काम से प्रदेश के करीबन 15 लाख 38 हजार सदस्य जुड़े हुए हैं. यह काम वनोपज संघ के माध्यम से कराया जाता है. इन सदस्यों में 50 फीसदी से ज्यादा आदिवासी और एससी, एसटी वर्ग के लोग हैं. जिलों में यह लोग जिला स्तरीय यूनियन से जुड़कर तेंदूपत्ता तोड़कर इकट्ठा करती हैं और फिर इन तेंदूपत्ता को बेचने से जो लाभ प्राप्त होता है. उसका 75 फीसदी हिस्सा इन सदस्यों को बोनस के रूप में बांट दिया जाता है. पिछले साल इस बोनस की राशि के रूप में 234 करोड़ की राशि बांटी गई थी, लेकिन इस बार यह राशि सिर्फ 115 करोड़ रुपए है.

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इसलिए कम मिलेगा बोनस

मध्य प्रदेश वनोपज संघ के एमपी विभाष ठाकुर कहते हैं कि इस बार बोनस की राशि इसलिए जल्दी बांटी जा रही है, क्योंकि संघ का काम कम्प्यूटराइज हो गया है. इससे एकाउंट का काम समय से काफी पहले पूरा हो गया. पहले इसमें नवंबर तक का समय लग जाता था. हालांकि बोनस की राशि कम होने की वजह आमदानी घटना बताई जा रही है. बताया जा रहा है कि पिछले साल विपरीत मौसम की वजह से तेंदुपत्ता की संग्रहण कम किया जा सका था. इसके अलावा संग्राहकों का पारिश्रमिक पहले ही बढ़ाया जा चुका है. इसके प्रति बोरा 1 हजार रुपए बढ़ाया गया था. इसे 3 हजार रुपए प्रति बोरो से बढ़ाकर 4 हजार रुपए प्रति बोरा किया जा चुका है. यही वजह है कि बोनस की राशि में कमी आई है.

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