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डीडवाना और सांभर लेक में अब भी प्रवासियों पक्षियों का डेरा, जानिए स्वदेश क्यों नहीं लौटे ये विदेशी मेहमान

सर्दी की शुरुआत में नागौर के नावां सांभर झील और डीडवाना में आने वाले प्रवासी पक्षी अभी भी डेरा जमाए हुए हैं. पक्षी वैज्ञानिकों ने इसकी वजह ग्लोबल वार्मिंग और बदलते समय चक्र को माना है. उनका कहना है कि मानव की लालसा के कारण अब ये प्रजाति संकट में हैं. इसलिए इनका संरक्षण करना चाहिए. विस्तार में जानिए इस रिपोर्ट में...

Migratory birds in Didwana lake
डीडवाना लेक में प्रवासी पक्षी

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Mar 17, 2024, 2:09 PM IST

Updated : Mar 17, 2024, 2:31 PM IST

डीडवाना लेक में प्रवासी पक्षी

कुचामनसिटी. हर साल शीत ऋतु में सुदूर ठंडे देशों से प्रवासी पक्षी प्रदेश के कई इलाकों में प्रवास के लिए आते है, जिनमें नागौर के नावां-सांभर झील और डीडवाना के स्थान भी शामिल हैं. इन इलाकों में प्रवासी पक्षी भारी संख्या में हर साल आते हैं. अमूमन शीत ऋतु खत्म हो जाने के बाद ये पक्षी फिर से अपने देश लौट जाते हैं, लेकिन इस साल अभी तक ये पक्षी झील क्षेत्र में ही है. पक्षी विशेषज्ञों ने इसकी वजह बताई है. साथ ही इनके प्रवास स्थल को संरक्षित करने की मांग भी सरकार से की है.

ग्लोबल वार्मिंग बड़ी वजह : डीडवाना झील क्षेत्र में हजारों की तादाद में प्रतिवर्ष हजारों विभिन्न प्रजातियों के प्रवासी पक्षी माइग्रेट होकर यहां आते हैं और सर्दी के मौसम में कुछ महीने यहां अपना प्रवास करते हैं. विशेषज्ञ बताते है कि सर्दी की शुरुआत में मीलो का सफर कर ये पक्षी सुदूर ठंडे देशों से भारत आते हैं. हर रात को यह पक्षी लगभग 500 किलोमीटर की यात्रा करते हैं. उस दौरान ये 50 किलोमीटर प्रति घन्टे की रफ्तार से उड़ते हैं. डीडवाना में उनके मुताबिक अनुकूलताएं उनको यहाँ खींच लाती है. प्रवासी पक्षियों को इनका पसंदीदा भोजन यहां मिलता है. आमतौर पर सर्दी का मौसम खत्म होते ही ये प्रवासी पक्षी अपने देश को लौट जाते हैं, लेकिन पिछले कुछ अरसे से ऐसा नहीं हो रहा है. सर्दी का मौसम खत्म हो जाने के बाद भी प्रवासी पक्षी यहां डेरा जमाए हुए हैं. पक्षी विशेषज्ञों के मुताबिक ग्लोबल वार्मिंग और बदलते समय चक्र इसकी वजह है.

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यहां क्यों आते हैं ये विदेशी मेहमान ? :पक्षी विज्ञानी जगदीश प्रसाद ने बताया कि नावां-सांभर झील, डीडवाना में फ्लेमिंगो आते हैं तो फलोदी के खींचन क्षेत्र में कुरजां प्रवासी पक्षी बहुतायत में आते हैं. इन क्षेत्रों में आने के पीछे कारण वेटलैंड क्षेत्र. साथ ही स्पाइलोरिना यहाँ शहर के बाहर भरे पानी में बहुतायत से मिलती है, जो इनका पसंदीदा भोजन है. इसके साथ इन क्षेत्रों में होने वाली धान की फसल भी इनके लिए अनुकूलताए पैदा करती है. इंसानों को बढ़ती लालसा के चलते आज जगह जगह हो रहे अतिक्रमण की जद में प्रवासी पक्षियों के ठिकाने भी आ गए हैं, ऐसे में भारत में ये विदेशी मेहमान अपने आपको असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. पक्षी वैज्ञानियों ने सरकार से इनके संरक्षण की मांग की है.

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अब सांभर और नावां पक्षियों के लिए असुरक्षित : डॉ. अरुण व्यास ने बताया कि पर्यावरणविद भी मानते है कि प्रवासी पक्षियों का मनपसंद स्थल रहे नावां सांभर झील और डीडवाना झील इनके लिए असुरक्षित होते जा रहे हैं. ऐसे में प्रदेश में आने वाले इन पक्षियों के लिए इनके हेबिटेट, इनके रहवास क्षेत्र को विकसित करना चाहिए, ताकि ये प्रवासी परिंदे यहां लगातार आते रहे तो आने वाले समय में और इनके ठिकानों को पर्यटन क्षेत्र के रुप में भी विकसित किया जा सकता है. मानव ने प्रकृति का अंधाधुंध दोहन किया है और प्रकृति से छेड़छाड़ की है, जो अब मानव के लिए ही संकट बनता जा रहा है. ऐसे में जरूरी है कि हम उन नियम कायदों के मुताबिक अपना जीवन जीएं, जिससे ना सिर्फ मानव जीवन बल्कि बाकी जंतुओं और पर्यावरण को भी नुकसान ना हो.

Last Updated : Mar 17, 2024, 2:31 PM IST

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