जयपुर : विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धा में भारत को यदि अग्रणी बनाना है, तो आईटी और एआई के क्षेत्र में नंबर 1 बनना अनिवार्य है. यह तभी संभव हो सकेगा जब छात्र स्कूल स्तर पर ही इन क्षेत्रों से जुड़ सकें. इसी दृष्टिकोण से राजस्थान में स्कूल शिक्षा के पाठ्यक्रम की व्यापक समीक्षा की जा रही है. सोमवार को पाठ्यक्रम समीक्षा समिति ने इस विषय पर मंथन किया और आने वाले महीने में अपनी रिपोर्ट सरकार को प्रस्तुत करेगी. इस रिपोर्ट के आधार पर कक्षा 1 से 12वीं तक के पाठ्यक्रम में आवश्यक बदलाव किए जाएंगे.
पाठ्यक्रम की समीक्षा पर जोर : राज्य में वर्तमान स्कूली पाठ्यक्रम की समीक्षा समिति के अध्यक्ष कैलाश चंद सोडाणी की अध्यक्षता में बैठक हुई. इसमें सदस्य सचिव सतीश कुमार गुप्ता, शिक्षाविद श्यामसुंदर बिस्सा, विशेषज्ञ जयंती लाल खंडेलवाल सहित अन्य सदस्य शामिल हुए. कुछ सदस्य वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से भी जुड़े. समिति के अध्यक्ष कैलाश चंद सोडाणी ने कहा कि भविष्य की पीढ़ी को ऐसा ज्ञान दिया जाना चाहिए, जो प्राचीन और आधुनिकता का संगम हो. उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान में लॉर्ड मैकाले की शिक्षा नीति के प्रभाव के चलते भारतीय ज्ञान प्रणाली छात्रों तक नहीं पहुंच पा रही है. इसका परिणाम यह है कि बच्चों के मन में देश के प्रति वह भावना विकसित नहीं हो पा रही है जो अन्य देशों के नागरिकों में दिखाई देती है.
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राष्ट्रीय सोच और आधुनिकता का मिश्रण : सोडाणी ने उदाहरण देते हुए कहा कि जर्मनी और जापान जैसे देश, जो भारत के साथ ही स्वतंत्र हुए थे, आज अपनी राष्ट्रीय सोच और तकनीकी प्रगति में हमसे आगे हैं. भारतीय बच्चों में भी उसी प्रकार की राष्ट्रीय भावना और आधुनिक तकनीकी ज्ञान विकसित करना आवश्यक है. समिति ने कहा कि बच्चों को भारतीय ज्ञान प्रणाली, हेल्थ एजुकेशन, कौशल विकास और आईटी व एआई जैसे आधुनिक विषयों से जोड़ना समय की मांग है.
आईटी और एआई पर विशेष फोकस : कैलाश चंद सोडाणी ने कहा कि आईटी और एआई को स्कूल पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने पर समिति का विशेष जोर है. समिति का मानना है कि यदि भारत को वैश्विक प्रतिस्पर्धा में अग्रणी बनना है तो छात्रों को स्कूल स्तर से ही इन क्षेत्रों में दक्ष बनाना होगा. समिति के सभी सदस्यों को कक्षा 1 से 12वीं तक की पुस्तकों के पीडीएफ लिंक और प्राथमिक स्तर की पाठ्यपुस्तकों का सिलेबस उपलब्ध कराया गया है. साथ ही अब तक प्राप्त सुझाव भी समिति को प्रदान किए गए हैं. इन्हीं आधारों पर रिपोर्ट तैयार की जाएगी. सोडाणी ने कहा कि समिति आने वाले महीने में अपनी रिपोर्ट तैयार कर सरकार को सौंपेगी. इसके बाद कक्षा 1 से 12वीं के पाठ्यक्रम में बदलाव किए जाएंगे, ताकि छात्रों को एक ऐसा सिलेबस मिल सके जो न केवल राष्ट्रीय सोच विकसित करे, बल्कि उन्हें वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिए भी तैयार करे.