कंजर्वेटिव दंत चिकित्सा व एंडोडोंटिक्स विभाग में हुई वर्कशॉप (Video Credit- ETV Bharat) लखनऊ: दांतों में कैविटी लगना मामूली बात है. लेकिन, इस कैविटीज को पूरी तरह से हटकर दांत को नई जिंदगी देना एक डेंटिस्ट के हाथ में होता है. दांतों में जब संक्रमण अधिक बढ़ जाता है, तो यह मसूड़े को भी नुकसान पहुंचा देता है. माइक्रोस्कोप की मदद से रूट कैनाल ट्रीटमेंट को बहुत ही अच्छी तरह से किया जा सकता है.
डेंटिस्ट माइक्रोस्कोप की मदद से रूट में मौजूद संक्रमण को जड़ से समाप्त करके ट्रीटमेंट करना चाहिए, ताकि मरीज को दोबारा इस दांत के लिए परेशान न होना पड़े. यह बातें गुरुवार को केजीएमयू के कंजर्वेटिव दंत चिकित्सा व एंडोडोंटिक्स विभाग विभाग में आयोजित वर्कशॉप के दौरान चेन्नई के माइक्रो इंडोटॉन्टिक्स डॉ. वी गोपी कृष्णा ने कहीं.
संक्रमण के छूटने का खतरा बढ़ जाता है (Photo Credit- ETV Bharat) कंजर्वेटिव दंत चिकित्सा व एंडोडोंटिक्स विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. प्रोमिला वर्मा ने बताया कि दांतों की बीमारी तेजी से बढ़ रही है. सबसे ज्यादा दांतों का संक्रमण है. इसकी वजह से मसूड़े कमजोर हो जाते हैं. दांतों के गिरने की आशंका बढ़ जाती है. प्राइवेट व छोटे मेडिकल संस्थानों में माइक्रोस्कोप नहीं होते हैं. ऐसे में वह आंखों से देखकर मरीज को रूट कैनाल ट्रीटमेंट देते हैं. ऐसी दशा में संक्रमण के छूटने का खतरा बढ़ जाता है. तकनीक का इस्तेमाल कर मरीजों को और बेहतर इलाज मुहैया कराया जा सकता है. माइक्रोस्कोप की मदद से रूट कैनाल ट्रीटमेंट को बेहतर ढंग से किया जा सकता है. (Photo Credit- ETV Bharat) कंजर्वेटिव दंत चिकित्सा व एंडोडोंटिक्स विभाग के डेंटिस्ट डॉ. राकेश कुमार यादव ने कहा कि इस वर्कशॉप में बहुत सारी बारीकियां बतायी गयीं, जो रूट कैनाल ट्रीटमेंट से संबंधित हैं. वर्कशॉप में करीब 100 डेंटिस्ट शामिल हुए. इसके अलावा बहुत सारे स्टूडेंट भी आये थे. इस वर्कशाप के जरिए डेंटिस्ट को प्रैक्टिस करके बताया गया कि किस तरह से माइक्रोस्कोप की मदद से रूट कैनाल ट्रीटमेंट को बेहतर ढंग से किया जा सकता है. डेंटिस्ट माइक्रोस्कोप की मदद से रूट में मौजूद संक्रमण को जड़ से समाप्त कर सकते हैं (Photo Credit- ETV Bharat) कंजर्वेटिव दंत चिकित्सा व एंडोडोंटिक्स विभाग की डेंटिस्ट डॉ. प्रज्ञा पांडेय ने कहा कि आमतौर पर डेंटिस्ट के लिए चुनौती उस समय होती है, जब उसके पास माइक्रोस्कोप इक्विपमेंट नहीं होता है. क्योंकि, बिना माइक्रोस्कोप के दांत में किस लेवल तक संक्रमण है, यह नहीं जाना जा सकता है. वहीं, जैसे ही माइक्रोस्कोप का इस्तेमाल करते हैं वैसे ही डेंटिस्ट दांत के रूट तक संक्रमण को आसानी से देख पते हैं और उसे हटा पाते हैं. इसलिए जरूरी है कि डेंटिस्ट इन बारिकियों को समझें. 100 डेंटिस्ट वर्कशॉप में शामिल हुए (Photo Credit- ETV Bharat) कंजर्वेटिव दंत चिकित्सा व एंडोडोंटिक्स विभाग के डेंटिस्ट डॉ. रमेश भारती ने कहा कि दांतों के इलाज में आधुनिक माइक्रोस्कोप की खास अहमियत है. इससे हम बीमारी की जड़ तक आसानी से पहुंच सकते हैं. संक्रमण को आंखों से नहीं देखा जा सकता है. लेकिन, माइक्रोस्कोप से कैनाल के छूटने की आशंका नहीं बचती है. ऐसे में संक्रमण का खात्मा अच्छी तरह से किया जा सकता है. माइक्रोस्कोप से मसूड़े के भीतर साफ और करीब से देखा जा सकता है. चित्र को बड़ा करके देखा जा सकता है. पायरिया सर्जरी में भी माइक्रोस्कोप का इस्तेमाल बेहतर तरीके से किया जा सकता है. उन्होंने बताया कि माइक्रोस्कोप से सर्जरी में गलती की आशंका कम हो जाती है. इससे पहले कार्यक्रम का शुभारंभ कुलपति डॉ. सोनिया नित्यानंद ने किया. उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला से न केवल प्रतिभागियों को फायदा होगा, बल्कि दंत चिकित्सा की एनआईआरएफ रैकिंग में भी इजाफा होगा.
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