देहरादून (उत्तराखंड): 15 दिनों से धरती पर आए हमारे पूर्वज पितृ दो अक्टूबर को विदा हो जाएंगे. ऐसी मान्यता है कि इन 15 दिनों के श्राद्ध पक्ष के दौरान जो लोग अपने पितरों को खुश रखते हैं, उन्हें वह आशीर्वाद देकर जाते हैं. पितरों को खुश रखने वाले परिवार में सुख, शांति और समृद्धि आती है. जीवन में कठिनाइयां खत्म हो जाती हैं.
पितरों को ऐसे करें खुश: बहुत से लोग इन पितृ पक्ष के दौरान और वैसे अन्य दिनों में भी अपने पितरों की शांति के लिए दान पुण्य इत्यादि कई तरह के काम करते हैं. लेकिन कई लोग ऐसे भी हैं, जो पितरों को खुश करना तो चाहते हैं, लेकिन उनके पास धन की कमी है. ऐसे में लोग यह सोचकर बैठ जाते हैं कि उनके पास अपने पितरों को देने के लिए कुछ है नहीं, तो भला वह क्या करें. हमारी पूजा पद्धति और कर्मकांड में कई ऐसे विधान बताए गए हैं, जहां पर बिना पैसा खर्च किए भी पितरों को खुश किया जा सकता है.
15 दिन परिवार को देखने आते हैं पूर्वज:अपने-अपने तरीके से जिस तरह से भगवान को प्रसन्न किया जाता है, कोई दूध चढ़ाता है, कोई बेलपत्र चढ़ाता है, कोई माला, प्रसाद और सिंदूर चढ़ाता है, कोई छत्र चढ़ाता है, तो कोई दान करता है. इस तरह से पितृपक्ष के दौरान हर कोई अपने-अपने तरीके से श्राद्ध पक्ष में पिंडदान, कर्मकांड इत्यादि करता है. कोई गयाजी जाता है, तो कोई बदरीनाथ ब्रह्मकपाल जाता है. अगर आप कहीं जाने आने और दान पुण्य करने में सक्षम नहीं हैं, तो भी आपके पितृ आपसे प्रसन्न हो सकते हैं. इसके लिए आपको नियमानुसार मन में अपने पितरों को ही स्मरण करना होगा.
- मंगलवार 1 अक्टूबर को चतुर्दशी श्राद्ध है
- बुधवार 2 अक्टूबर को सर्व पितृ अमावस्या है
- गुरुवार 3 अक्टूबर से नवरात्रि शुरू हो जाएंगी
- शारदीय नवरात्रि शनिवार 12 अक्टूबर तक हैं
कुछ नहीं है खर्च के लिए तो करें ये काम:धर्माचार्य प्रतीक मिश्र पुरी बताते हैं कि हमारे पूर्वज जब धरती पर इन 15 दिनों के लिए आते हैं, तो वह यह देखते हैं कि उनके परिवारी जन किस तरह से जीवन व्यतीत कर रहे हैं. वह पूरे परिवार पर नजर रखते हैं और यह देखते हैं कि इन 15 दिनों में परिवार उनकी किस तरह से देखभाल कर रहा है. अगर आपके पास पितरों के लिए ज्यादा कुछ करने के लिए नहीं है, तो आप रोजाना इन 15 दिनों में एक ऐसे समय को निर्धारित करें, जब आप अपने पितरों को गीता का पाठ सुना सकते हैं. ध्यान रखें कि अगर आपसे इन 15 दिनों में नहीं हुआ है तो आप अमावस के दिन अपने पितरों को गीता का पाठ सुना सकते हैं.
सिर्फ स्नान और ये काम:आप अमावस वाले दिन सुबह-सुबह उठकर गंगा- यमुना या अन्य नदियों में स्नान करके अपने पितरों को वहीं पर खड़े होकर जल अर्पित करके उनसे अपनी बात कह सकते हैं. प्रार्थना करें कि आपके पितरों को मोक्ष की प्राप्ति हो.