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आदिवासियों ने दिया एकजुटता का संदेश, 33 जातियां एक ही मंच पर आईं - World Tribal Day 2024 - WORLD TRIBAL DAY 2024

World Tribal Day 2024 छत्तीसगढ़ के कोरबा में विश्व आदिवासी दिवस कार्यक्रम का आयोजन हुआ.जिसमें आदिवासियों की 42 जातियों में से 33 एक ही मंच पर आईं. Message of solidarity

World Tribal Day 2024
33 जातियां एक ही मंच पर आईं (ETV Bharat Chhattisgarh)

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Aug 10, 2024, 12:30 PM IST

कोरबा :दुनिया भर में 9 अगस्त का दिन विश्व आदिवासी दिवस के तौर पर मनाया गया. कोरबा शहर के बुधवारी बाजार स्थित आदिवासी शक्तिपीठ में इस दौरान खास कार्यक्रमों का आयोजन हुआ. आदिवासी समाज के अलग-अलग जातियों के समाज प्रमुख इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पहुंचे थे. इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ शासन के उद्योग मंत्री और कोरबा विधायक लखनलाल देवांगन थे.

विश्व आदिवासी दिवस पर एकजुटता का संदेश (ETV Bharat Chhattisgarh)


50 लाख के विकास कार्यों की घोषणा :विश्व आदिवासी दिवस पर आदिवासी शक्तिपीठ पहुंचे उद्योग मंत्री लखन लाल देवांगन ने कहा कि आदिवासियों का विकास हमारे समाज के लिए बेहद जरूरी है. जिले में हर साल खास आयोजन किया जाता है. पूर्व में मैं जब नगर पालिक निगम कोरबा का महापौर था.
तभी इस आदिवासी शक्तिपीठ की स्थापना हुई थी. तभी से मैं यहां जुड़ा हुआ हूं. आज यहां के विकास कार्यों को देखकर मुझे खुशी होती है.

'' आज भी समाज ने मुझे यह निर्देश दिया कि आदिवासी शक्तिपीठ के विकास कार्यों के लिए कुछ पैसों की आवश्यकता है. मैने तत्काल विधायक मद से 50 लाख रुपए इन्हें प्रदान कर दिए हैं. सोमवार को मैं स्वीकृति पत्र दे दूंगा और वह ले जाकर इसे कलेक्टर को दें. ताकि काम जल्दी से जल्द शुरू किया जा सके.''-लखन लाल देवांगन, उद्योग मंत्री

एक ही मंच पर जुटे आदिवासी :आदिवासी शक्तिपीठ बुधवारी कोरबा के संस्थापक सदस्य रघुवीर सिंह मार्को ने बताया कि आदिवासी शक्तिपीठ बुधवारी की जब स्थापना की गई थी. तब हम काफी बंटे हुए थे. शक्तिपीठ की स्थापना विश्व में काफी कम जगह पर है. इसे हम विश्व की पहली शक्तिपीठ कहते हैं. सरकार की भी मंशा है कि सभी समाजों को आपस में जोड़ा जाए.

''हमने आदिवासियों की 42 जातियों में से 33 को एक मंच पर लाया है. पहले हमारे यहां कंवर समाज के लोग गोंड जाति के यहां नहीं जाते थे. तो उरांव जाति के लोग दूसरे जात के लोगों के यहां कार्यक्रम में नहीं जाते थे. लेकिन आज हम सब एक मंच पर आ गए हैं. सभी को हमने समझाया, सामाजिक विकास और संस्कृत आधार पर हम आज एकजुट हुए हैं. इसलिए ही आज हमने जब विश्व आदिवासी दिवस को मूल निवासी महोत्सव के तौर पर मनाने का निर्णय लिया. सबको समझने में ज्यादा समय नहीं लगा. सभी तुरंत मान गए.'' रघुवीर सिंह मार्को, संस्थापक,आदिवासी शक्तिपीठ


मौसम की वजह से देर से शुरू हुआ आयोजन : आपको बता दें किविश्व आदिवासी दिवस और नाग पंचमी दोनों 9 अगस्त को एक ही दिन को पड़े. इसके बाद पूरे दिन बरसात भी होती रही. विपरीत मौसम और उद्योग मंत्री के प्रोटोकॉल के कारण बुधवारी स्थित आदिवासी शक्तिपीठ में कार्यक्रम थोड़ा देरी से शुरू हुआ. देर शाम तक कार्यक्रम चला . बारिश के बीच ही मंत्री लखन लाल देवांगन आदिवासी शक्तिपीठ पहुंचे. इसके बाद रंगारंग संस्कृत कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया. धूमधाम से आदिवासी समाज ने आदिवासी दिवस को मनाया.

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