श्रीनगर: बदलते वक्त के साथ खेती के तरीके में भी बदलाव आ रहे हैं. अब आधुनिक विधि से खेती की जा सकती है, जिससे किसान अधिक मुनाफा कमा सकते हैं. इन्हीं तरीकों में हाइड्रोपोनिक, एरोपोनिक फार्मिंग है, कम भूमि या जिन इलाकों में मिट्टी की उर्वरता खत्म हो चुकी हैं. वहां इस प्रकार की खेती को किया जा सकता है. श्रीनगर गढ़वाल के गढ़वाल विश्वविद्यालय के हेप्रेक विभाग ने इस विधि से औषधीय पौधों को उगाया है. जिन्हें मिट्टी में उगने में एक से दो साल लगते हैं.अब वैज्ञानिक इस तकनीक से किसानों को औषधीय पादपों की खेती के लिए प्रेरित कर रहे हैं.शहरी इलाकों में कई ऐसे लोग हैं जो खेती करने का शौक रखते हैं या ऑर्गेनिक सब्जियां खाना पसंद करते हैं. लेकिन कम जगह होने के चलते घर में उगा नहीं सकते. ऐसे लोग हाइड्रोपोनिक्स एरोपोनिक विधि का प्रयोग कर कम जगह में भी खेती कर सकते हैं.
मिट्टी की नहीं होती आवश्यकता:उच्च हिमालय पादप शोध संस्थान विभाग की शोध छात्रा पल्लवी बताती है कि उनके द्वारा हाइड्रोपोनिक व एरोपोनिक दो तरह की खेती यहां की गई है. जहां हाइडोफानिक्स खेती में पौधे की जड़े पानी में रहती है तो वहीं एरोफानिक्स विधि में जड़े हवा में रहती है. जानकारी देते हुए पल्लवी बताती है कि हाइड्रोपोनिक फार्मिंग के लिए एक टैंक नुमा वाक्स में पानी के साथ न्यूटेंटशन का मिश्रण रखा जाता है, और इसे टैंक के ऊपरी हिस्से में लगे पौधों तक सप्लाई किया जाता है.
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हाइड्रोपोनिक एरोपोनिक विधि से उगाया अश्वगंधा:शोध छात्रा पल्लवी बताती है कि उनके द्वारा यहां ग्लास हाउस में अश्वगंधा को उगाया गया. बताती हैं कि अश्वगंधा की खेती दो साल में शुरू होती है. दो साल के समय के बाद ही पौधे से सेकेंडरी मेटाबोलाइट निकाल सकते हैं, लेकिन इस विधि से उन्होंने 6 माह में ही पौधे से सेकेंडरी मेटाबोलाइट उसी मात्रा में निकाले हैं, जितना सामान्य विधि से दो साल लगते हैं. इन दिनों बच की पौध भी उगाया गया है जिसमें भी वहीं पोषक तत्व 6 महीने में पाये गये जिसके लिए 1 साल का समय लगता है.