बलौदाबाजार:अयोध्या में रामलला की प्राणप्रतिष्ठा को लेकर देश ही नहीं विदेशों में भी उत्साह का माहौल है. चारों ओर श्री राम कथा और रामराज की गाथा गाई जा रही है. बलौदाबाजार में कसडोल के ग्राम तुरतुरिया में भी उत्सव का माहौल देखने को मिल रहा है. जहां लव-कुश की जन्मस्थली महर्षि वाल्मीकि का आश्रम है. जहां त्रेतायुग में माता सीता ने कठिन तपस्या के साथ ही लव-कुश का पालन-पोषण किया था. यहां दूर दूर से आ रहे राम भक्तों का तांता लगा हुआ है.
माता सीता के दर्शन करने आ रहे श्रद्धालु: बलौदाबाजार जिला मुख्यालय से 50 किमी और कसडोल तहसील से 25 किमी दूरी पर प्राकृतिक सौंदर्य के बीच बालमदेही नदी बहती है. पहाड़ से गिरती पानी की जलधारा की ध्वनि की वजह से ही इस गांव का नाम तुरतुरिया पडा है. यहां ऊपर पहाड़ी पर माता सीता जी का मंदिर है, जहां श्रद्धालु संतान की कामना को लेकर दूर दूर से आते हैं और मां से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं. बताया जाता है कि माता सीता ने लव-कुश को यहां जन्म दिया था. जिसकी वजह से यहां जो भक्त संतान प्राप्ति की कामना लेकर आते हैं, माता सीता उनकी मनोकामना जरूर पूरी करती हैं.
तुरतुरिया के माता सीता मंदिर का इतिहास: घने वनों के बीच बसे तुरतुरिया के माता सीता मंदिर का जीर्णोध्दार 1972-73 में किया गया था. तब बलौदाबाजार के ग्राम बुड़गहन के टिकरिहा परिवार के पहलवान दाऊ चिंता राम टिकरिहा ने मंदिर का जीर्णोध्दार करवाया था. मान्यता है कि सीता माता मंदिर की पूजा अर्चना पहले बाल ब्रम्हचारी हनुमान करते थे. जिसके बाद यहां देवी मां के भक्त बाबाजी महराज पूजन किया करते थे. वहीं उनके स्वर्ग धाम प्रवास के बाद मंदिर की देखरेख पंडितों द्वारा किया जा रहा है.