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रांची के दुर्गा बाड़ी में सिंदूर खेला के साथ माता रानी को दी गई विदाई, महिलाओं ने की अखंड सौभाग्य की कामना

रांची के दुर्ग बाड़ी में महिलाओं ने सिंदूर खेला खेलकर मां दुर्गा को विदाई दी. उन्होंने माता से अखंड सौभाग्य की कामना की.

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दुर्गा बाड़ी में सिंदूर खेला (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Oct 12, 2024, 3:02 PM IST

रांची: देशभर में बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक विजयादशमी का त्योहार हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है. इस मौके पर राजधानी रांची के दुर्गा बाड़ी में पारंपरिक रूप से सिंदूर खेलकर महिलाओं ने मां भगवती को विदा किया. मान्यताओं के अनुसार नौ दिनों तक मां दुर्गा की आराधना के पश्चात जब विजयादशमी के मौके पर मां विदा होती हैं तो महिलाओं को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद सिंदूर प्रदान करके करती हैं. यह रस्म विवाहित महिलाओं के लिए काफी खास होती है. इस दौरान महिलाएं अपने पति की दीर्घायु जीवन के लिए मां से कामना करती हैं.

इस अवसर पर बड़ी संख्या में इस बार भी महिलाएं दुर्गा बाड़ी पहुंचीं. जहां एक दूसरे को सिंदूर लगाई और विजयादशमी की बधाई दी. इस मौके पर दुर्गा बाड़ी पहुंची सांसद महुआ माजी ने विजयादशमी की शुभकामनाएं देते हुए महिलाओं के साथ जमकर सिंदूर खेला. महुआ माजी ने आज के दिन को खास बताते हुए कहा कि मान्यता यह है कि नवरात्र के मौके पर मां दुर्गा मां लक्ष्मी, गणेश समेत अन्य देवी देवताओं के साथ मायके आती है और आज उनका गमन होता है. हमलोग खुशी-खुशी उनका आह्वान करते हैं और खुशी-खुशी विदा भी करते हैं. आशीर्वाद स्वरूप मां सौभाग्य का वरदान सिंदूर के रूप में देती हैं, जिसे महिलाएं इस मौके पर लगाती हैं.

दुर्गा बाड़ी में सिंदूर खेला (ETV BHARAT)

सिंदूर खेला के पीछे क्या है मान्यता

नवरात्र के मौके पर मां के विविध स्वरूपों की पूजा नौ दिनों तक होती है. मान्यता है कि मां दुर्गा 10 दिनों के लिए अपने मायके आती हैं और इसी उपलक्ष्य में उनका स्वागत पूजा पंडाल बनाकर किया जाता है. बंगाली समुदाय इसे खास तौर पर मनाते हैं. पंचमी से लेकर विजयादशमी तक उनके लिए खास होता है. विजयादशमी को सुबह-सुबह घर के सभी लोग उठते हैं और स्नान ध्यान करके नववस्त्र पहनकर विजयादशमी मनाते हैं. श्रद्धालु रश्मि कहती हैं कि आज के दिन घर में उत्सव का माहौल रहता है. साफ-सफाई के बाद नववस्त्र पहनकर रसगुल्ला और मछली खाने की परंपरा है.

सिंदूर खेला (ETV BHARAT)

उलुक ध्वनि से मां की हुई विदाई

इस अवसर पर देवी को प्रसन्न करने के लिए महिलाएं अनोखे ढंग से उलूक ध्वनि निकालती हैं, जो उल्लू के आवाज की तरह होता है. मान्यता है कि उल्लू, माता लक्ष्मी की सवारीहै, तोउनके वाहन अपने आपको मानकर इनकी आराधना वो करती हैं. श्रद्धालु स्वाति कहती हैं कि उलुक ध्वनि से ही मां का आगमन होता है और उसी से गमन. हमारे लिए मां का आगमन और गमन दोनों महत्वपूर्ण है. श्रद्धालु मदिरा दत्ता कहती हैं कि आज के दिन सिंदूर खेला हर विवाहित महिलाओं के लिए खास है. मां के आशीर्वाद स्वरूप हम इसे ग्रहण करते हैं, जो हमें अखंड सौभाग्य के रूप में आशार्वाद मिलता है.

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