नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच टीम ने दिल्ली-एनसीआर में सक्रिय अंतरराष्ट्रीय किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट का भंडाफोड़ किया है. उसका संचालन मूलरूप से बांग्लादेश का रहने वाला रसेल कर रहा था. इसमें उसका जीजा मोहम्मद सुमोन मियां भी शामिल है. इस सिंडिकेट के गिरफ्तार 7 सदस्यों में से रसेल मास्टरमाइंड है. इस गोरखधंधे को चलाने वाले 7 आरोपियों में से रैकेट के सरगना सहित 5 आरोपी सिर्फ 12वीं कक्षा तक पढ़े हैं. सरगना और उसका एक साथी भी खुद किडनी डोनेट कर चुका है.
क्राइम ब्रांच के डीसीपी अमित गोयल के मुताबिक, 16 जून को अवैध किडनी ट्रांसप्लांट से संबंधित गुप्त सूचना मिली थी. इस सूचना को और पुख्ता किया गया. इसके बाद एक टीम का गठन किया गया. टीम ने गुप्त सूचना के आधार पर जसोला इलाके में छापेमारी की और 4 आरोपियों को धरदबोचा. इनमें से तीन की पहचान रसेल, रोकोन, सुमोन मिया के रूप की गई, जो बांग्लादेश के मूल निवासी हैं. जबकि, चौथे आरोपी शख्स की पहचान रतेश पाल के रूप में की गई, जो मूल रूप से त्रिपुरा (भारत) का रहने वाला है.
डोनर का तैयार करते थे फेक डॉक्यूमेंट:पुलिस पूछताछ के दौरान आरोपियों ने कबूल किया कि वो बांग्लादेश में डायलिसिस सेंटर्स पर जाकर बांग्लादेश के किडनी पेशेंट्स को टारगेट बनाते थे. उन्होंने बांग्लादेश से डोनर की व्यवस्था की, उनकी खराब फाइनेंशियल स्थिति का फायदा उठाकर भारत में जॉब दिलाने के बहाने शोषण किया. भारत पहुंचने पर उनके पासपोर्ट जब्त कर लिए जाते थे. इसके बाद आरोपी रसेल और इफ्ति ने अपने सहयोगियों मोहम्मद सुमन मियां, मोहम्मद रोकोन उर्फ राहुल सरकार और रतेश पाल के जरिए मरीजों/डोनर के बीच संबंध दिखाने के लिए उनके जाली दस्तावेज तैयार करते थे. किडनी ट्रांसप्लांट के लिए केवल करीबी रिश्तेदार ही डोनर हो सकता है.
हर कोई अलग-अलग काम की वसूलता था मोटी फीस: इन आरोपियों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अस्पतालों से अपनी प्रारंभिक चिकित्सीय जांच कराई और किडनी ट्रांसप्लांट का ऑपरेशन कराया. जांच के दौरान पता चला कि डॉ. डी. विजया राजकुमारी का निजी सहायक विक्रम सिंह मरीज की फाइलें तैयार करने में मदद करता था. विक्रम सिंह आरोपियों से प्रति मरीज ₹20,000 वसूल करता था. रसेल ने अपने सहयोगियों में से एक मोहम्मद शारिक के नाम का भी खुलासा किया. मो. शारिक डॉ. डी. विजया राजकुमारी से मरीजों का अपॉइंटमेंट लेता था और पैथोलॉजिकल टेस्ट करवाता था. मोहम्मद शारिक प्रति मरीज़ 50 से 60 हजार रुपए लेता था.
किडनी ट्रांसप्लांट की संख्या जुटाने में जुटी पुलिस: डीसीपी के मुताबिक, क्राइम ब्रांच की टीम ने 23 जून को आरोपी व्यक्ति विक्रम सिंह और मोहम्मद शारिक को गिरफ्तार कर लिया था. गिरफ्तार आरोपियों रसेल अहमद, विक्रम सिंह और मोहम्मद शारिक ने खुलासा किया डॉ. डी. विजया राजकुमारी को जाली कागजात के आधार पर इन लोगों द्वारा किए जा रहे प्रत्येक अवैध कार्य के बारे में पूरी जानकारी थी. इसके बाद टीम ने आखिर में 1 जुलाई को वर्तमान मामले में डॉ. राजकुमारी को भी गिरफ्तार कर लिया. पुलिस को अभी यह पता नहीं चल पाया है कि रैकेट की ओर से अब तक कुल कितने ट्रांसप्लांट किए जा चुके हैं. इसकी पहचान करने के लिए जांच जारी है.