दुर्ग:रविवार को करवा चौथ के दिन भिलाई का जवान लेह लद्दाख में शहीद हो गया. आज सुबह शहीद जवान उमेश साहू का पार्थिव शरीर गृह ग्राम कोडिया पहुंचा. जहां सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार की तैयारी चल रही है. उमेश साहू पिछले दस सालों से सेना में तैनात थे. ड्यूटी के दौरान उनको सांस लेने में तकलीफ हुई. तबीयत लगातार बिगड़ती चली गई और उनका निधन हो गया. ड्यूटी के दौरान निधन होने के चलते उनको शहीद का दर्जा दिया गया. कोडिया के मुक्तिधाम में उनका अंतिम संस्कार सैन्य सम्मान के साथ किया गया.
लेह लद्दाख में भिलाई का जवान शहीद: उमेश साहू की ड्यूटी लेह लद्दाख में लगी थी. जिस जगह पर उमेश साहू की ड्यूटी लगी थी वो इलाका काफी ऊंचाई वाला है. ड्यूटी के दौरान ऑक्सीजन की कमी के चलते उनकी तबीयत बिगड़ गई. बाद में जवान ने दम तोड़ दिया. करवा चौथ के दिन पत्नी और परिवार के लोगों को ये संदेश मिला. जिसके बाद से परिवार वालों का रो रोकर बुरा हाल है. पूरे गांव में शोक का माहौल है.
लेह लद्दाख में भिलाई का जवान शहीद (ETV Bharat Chhattisgarh)
भिलाई के जवान का सैन्य सम्मान के साथ अंतिम संस्कार (ETV Bharat Chhattisgarh)
शहीद जवान को अंतिम सलाम (ETV Bharat Chhattisgarh)
नम आंखों से देश के सपूत को विदाई (ETV Bharat Chhattisgarh)
देश सेवा में शहीद हुए उमेश साहू (ETV Bharat Chhattisgarh)
पार्थिव शरीर को लोगों ने किया नमन (ETV Bharat Chhattisgarh)
भिलाई में जवान का अंतिम संस्कार: ग्रामीणों ने बताया शहीद उमेश कुमार साहू मध्यम वर्गीय परिवार से आते हैं. कुछ वर्षों में ही उन्होंने अपने बड़े भाई, अपनी मां को खोने के बाद बीते जून माह में अपने छोटे भाई को खोया था. भाई का दशगात्र कार्यक्रम निपटाने के बाद वो ड्यूटी में जाने वाले थे, लेकिन घर में पिता की तबियत खराब होने से उनको छुट्टी बढ़ानी पड़ी. पिता का इलाज कराने के बाद बीते 30 अगस्त ही वो ड्यूटी पर लौटे थे. इस दौरान उनकी ड्यूटी लेह-लद्दाख में लगाई गई. वहां उन्होंने देश की सुरक्षा करते हुए अपने प्राणों को न्यौछावर कर दिया. उनके जाने के बाद घर में पिता, पत्नी और छोटे बच्चे बचे हैं.
युवाओं को सेना में भर्ती के लिए प्रेरित करते रहे :उमेश साहू 10 साल पहले आर्मी में भर्ती हुए थे. तब से वो लगातार देश की सेवा में तैनात रहे. परिवार और गांव वालों के मुताबिक शहीद जवान उमेश बड़े ही मिलनसार स्वाभाव के थे. जब भी वो छुट्टियों में गांव आते तो गांव के युवाओं को सेना में जाने के लिए प्रेरित करते. आर्मी में जाने के लिए युवाओं को फिजिकल तैयारियों की जानकारी देते थे. जवान उमेश साहू के शहीद होने के खबर से गांव वाले भी गम में डूबे हैं. पूरा गांव उमेश के मिलनसाल स्वभाव का सराहना करते नहीं थकता है.