रुद्रप्रयाग: भेड़ पालकों की आराध्य देवी और सुरम्यी मखमली बुग्यालों में विराजमान भगवती मनणामाई की लोकजात यात्रा राकेश्वरी मंदिर रांसी से विधिवत शुरू हो गई है. आगामी 24 जुलाई को मनणामाई लोकजात यात्रा मनणामाई धाम पहुंचेगी. जहां पूजा-अर्चना के बाद लोकजात यात्रा राकेश्वरी मंदिर रांसी के लिए लौटेगी. लोकजात यात्रा के राकेश्वरी मंदिर रासी पहुंचना मौसम पर निर्भर करेगा, लेकिन मनणामाई लोकजात यात्रा वापसी में सनियारा रात्रि प्रवास युगों से चली परंपरा के अनुसार आवश्यक माना गया है.
मनणामाई की डोली कैलाश के लिए विदा:हिमालयी क्षेत्रों में भारी बारिश होने के कारण इस बार लोकजात यात्रा में मात्र एक दर्शन श्रद्धालु मौजूद है. सोमवार यानी आज 22 जुलाई को राकेश्वरी मंदिर रासी में विद्वान आचार्यों ने ब्रह्म बेला पर पंचांग पूजन के तहत अनेक पूजाएं संपन्न कर भगवती राकेश्वरी और भगवती मनणामाई का आह्वान कर आरती उतारी. जिसके बाद मनणामाई की डोली का खास श्रृंगार किया गया.
फिर भगवती मनणामाई की डोली ने राकेश्वरी मंदिर की परिक्रमा की. जहां महिलाओं ने मांगल गीतों और ब्राह्मणों ने वेद ऋचाओं से भगवती मनणामाई की डोली को कैलाश के लिए विदा किया. भगवती मनणामाई की लोकजात यात्रा के कैलाश रवाना होने पर रांसी के ग्रामीणों ने मीलों दूर तक मनणामाई की लोकजात यात्रा को परंपरानुसार विदा किया. मान्यता है कि भगवती मनणामाई ने मनणा में भूभाग को दल-दल में तब्दील कर राक्षस फंसाकर वध किया था.
भेड़ पालकों की आराध्य देवी हैं मनणामाई: शिक्षाविद रविंद्र भट्ट ने बताया कि भगवती मनणामाई भेड़ पालकों की आराध्य देवी मानी जाती हैं. युगों से चली आ रही परंपरा के अनुसार हर साल मनणामाई की लोकजात यात्रा सावन मास में राकेश्वरी मंदिर रांसी से शुरू होती है. जो मनणा धाम में पूजा-अर्चना के बाद राकेश्वरी मंदिर रांसी के लिए वापसी होती है.