मंदसौर: दीपावली के त्योहार को देश के कई स्थानों पर अलग-अलग तरीके से मनाने की परंपराएं हैं. मालवा इलाके में गोवर्धन पूजा के साथ कहीं पाड़ों की लड़ाई तो कहीं बैलगाड़ी की दौड़, तो कहीं हिंगोट जैसे प्रथाएं आज भी चलती हैं. ऐसे ही एक प्रथा मंदसौर जिले के शामगढ़ और गरोठ तहसील में भी देखने को मिलती है. यहां पड़वी यानी गोवर्धन पूजा के बाद हर गांव में छोड़ फाड़ के पशु खेल का एक आयोजन होता है.
जानिए क्या है छोड़ फाड़ परंपरा
शामगढ़, सुवासरा और गरोठ तहसीलों के करीब 5 दर्जन गांवों में गोवर्धन पूजा के दिन छोड़ फाड़ परंपरा का आयोजन किया गया. दरअसल, अंग्रेजी के Y अक्षर नुमा एक लकड़ी पर मरी हुई भैंस की खाल को मढ़ दिया जाता है, जिसे ग्रामीण छोड़ कहते हैं. इसके बाद खाल की छोड़ को गाय के सामने किया जाता है. यदि खेल के मैदान में उतरी गाय अपने सींग से इस छोड़ को फाड़ देती है, तो माना जाता है कि किसानों का अगला साल समृद्धि से निकलने वाला है. अगले साल के अच्छे भविष्य की कामना को लेकर यहां ग्राम प्रतापपुरा, किशोरपुरा, धलपट, कोटडा बुजुर्ग नारिया और बढ़िया अमरा में इस खेल का आयोजन हर साल होता है.
ये भी पढ़ें: |