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प्रेमी के साथ मिलकर पत्नी ने पति को किया आत्महत्या के लिए मजबूर, कोर्ट ने सुनाई दोषियों को सजा - Mandi Suicide Case - MANDI SUICIDE CASE

Mandi Court on Suicide Case: मंडी जिले में प्रेमी के साथ मिलकर पति को आत्महत्या के लिए मजबूर करने के मामले में कोर्ट ने पत्नी और प्रेमी को दोषी करार दिया है और 3-3 साल के कारावास और 25-25 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है.

Mandi Court on Suicide Case
आत्महत्या के लिए मजबूर करने के मामले में कोर्ट ने सुनाई सजा (ETV Bharat)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Aug 3, 2024, 6:32 AM IST

मंडी:प्रेमी के साथ मिलकर पति को आत्महत्या करने के लिए मजबूर करने की आरोपी पत्नी और उसके प्रेमी को अदालत ने तीन-तीन साल कारावास और पचीस-पचीस हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है. सत्र न्यायाधीश के न्यायालय ने भारतीय दंड संहिता की धारा 306 के तहत आत्महत्या के लिए मजबूर करने का अभियोग साबित होने पर उन्हें 3 साल का कारावास और 25 हजार रुपए जुर्माने की सजा का फैसला सुनाया है.

साल 2015 का है मामला

मामला 9 साल पहले 2015 का है. जिला न्यायवादी विनोद भारद्वाज ने बताया कि 5 जनवरी 2015 को ढाबन गांव निवासी जय राम ने बल्ह पुलिस थाना में शिकायत पत्र दिया था कि घटना वाले दिन जब वह अपने घर पर मौजूद था तो उन्होंने घर के बाहर काफी शोर सुना. जिस पर वह शिक्षा विभाग में ड्राइंग टीचर के रूप में कार्यरत अपने भाई हरी सिंह के घर की ओर गया तो देखा कि उसका भाई हरी सिंह घर की गैलरी में लेटा हुआ था. घटना स्थल पर मौजूद शिकायतकर्ता के मामा ने उसे बताया कि हरी सिंह गैलरी में आत्महत्या कर ली है.

जेब से मिला सुसाइड नोट

उसके बाद आस पड़ोस के लोग जब हरी सिंह को गाड़ी में डालकर रती अस्पताल ले जा रहे थे तो रास्ते में किशोरी लाल को हरी सिंह की जेब से एक कागज मिला, जिसमें एक तरफ काली स्याही से आरोपियों अंजू और गुरप्रीत को अपनी मौत का जिम्मेदार बताते हुए हरी सिंह ने अपने हस्ताक्षर किए थे. रती हॉस्पिटल में डॉक्टर ने हरी सिंह को मृत घोषित कर दिया था.

33 गवाहों के बयान हुए कलम बंद

जिस पर पुलिस ने आरोपी अंजू पत्नी हरी सिंह और गुरप्रीत सिंह पुत्र श्री बक्शीश सिंह के खिलाफ मामला दर्ज किया था. मामले की छानबीन और तहकीकात पूरी होने पर पुलिस ने आरोपियों पर अदालत में अभियोग चलाया था. इस मामले में अभियोजन पक्ष ने 33 गवाहों के बयान अदालत में कलम बंद करवाए थे. अभियोजन पक्ष की ओर से इस मामले की पैरवी जिला न्यायवादी विनोद भारद्वाज द्वारा अमल में लाई गई.

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