कुल्लू:लोकसभा चुनाव में मंडी संसदीय क्षेत्र से भाजपा ने बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत को मैदान में उतारा है. वहीं, पूर्व सांसद महेश्वर सिंह पार्टी के इस निर्णय से अब नाराज चल रहे हैं. पूर्व सांसद की नाराजगी को दूर करने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर उनके निवास स्थल पहुंचे और उन्होंने पूर्व सांसद को मनाने की कोशिश की. खबर है कि पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने महेश्वर सिंह से इस बारे लंबी चर्चा की. लेकिन महेश्वर सिंह ने अपनी नाराजगी पूर्व मुख्यमंत्री के समक्ष भी व्यक्त की और उनसे आग्रह किया कि वह उनकी इस नाराजगी के मुद्दे को लेकर भाजपा हाईकमान से चर्चा करें. उसके बाद में महेश्वर सिंह आगामी निर्णय लेंगे. ऐसे में देर रात हुई बैठक के बाद जयराम ठाकुर उनके निवास स्थल से रवाना हो गए. अब देखना यह होगा कि क्या बीजेपी हाईकमान पूर्व सांसद महेश्वर सिंह को मना पाता है या नहीं?
कंगना को टिकट मिलने से कई पार्टी नेताओं में नाराजगी: लोकसभा चुनाव में भाजपा ने जहां बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत को मंडी संसदीय क्षेत्र से टिकट देकर सभी कार्यकर्ताओं को अचंभित कर दिया है. जिसके बाद से पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं की खबरें सामने आ रही है. ऐसे में अब पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं को साथ लेकर चलना भाजपा के लिए कड़ी चुनौती होगी. हालांकि, पूर्व में चार बार सांसद रहे महेश्वर सिंह ने कंगना रनौत को टिकट मिलने पर बधाई तो दी है. लेकिन क्या बाकी अन्य नेताओं का साथ कंगना रनौत को मिल पाएगा या नहीं? यह सब भविष्य के गर्भ में छिपा हुआ है.
बीजेपी के सीनियर नेताओं को टिकट मिलने की थी उम्मीद: मंडी संसदीय क्षेत्र से लोकसभा टिकट के लिए पूर्व सांसद महेश्वर सिंह, ब्रिगेडियर खुशाल ठाकुर सहित कई अन्य नेताओं ने दावेदारी जताई थी. लेकिन पार्टी ने जमीन से जुड़े सभी कार्यकर्ताओं को दरकिनार कर दिया और पैराशूट के माध्यम से कंगना रनौत को चुनावी मैदान में उतार दिया. अब देखना होगा कि क्या कंगना रनौत चुनावी मैदान में सफल लैंडिंग कर पाती है या नहीं ? हालांकि, पार्टी का निर्णय सही है या नहीं ये 4 जून को आने वाले चुनावी परिणाम को देखने के बाद ही पता चलेगा.
टिकट नहीं मिलने से छलका महेश्वर सिंह का दर्द: पूर्व सांसद महेश्वर सिंह ने कहा, "अब भाजपा एक बहुत बड़ी पार्टी बन गई है और यहां पर बड़े नेताओं द्वारा ही फैसले दिए जाते हैं. हालांकि पहले यह बात चलती रही कि पार्टी द्वारा सर्वे किया जा रहा है और सर्वे के माध्यम से जिस नेता का नाम सामने आएगा, उसे लोकसभा का टिकट दिया जाएगा. ऐसे में उन्हें लगता है कि अब पार्टी को उनकी जरूरत नहीं है. शायद प्रचार के लिए उन्हें कहा भी ना जाए. लेकिन अगर पार्टी उन्हें आगामी कोई निर्देश देती है तो वह इस पर अवश्य विचार करेंगे.