जमशेदपुर:देश के इतिहास में जमशेदपुर की एक अलग पहचान है. लौहनगरी को मजदूरों का शहर भी कहा जाता है. इस शहर से महात्मा गांधी का जुड़ाव रहा है. उनसे जुड़ी यादें आज भी जमशेदपुर में गवाह है. गुजरात के पोरबंदर में 2 अक्टूबर 1869 में जन्मे महात्मा गांधी देश की आजादी के साथ मजदूरों के हक और अधिकार की लड़ाई लड़ी थी. आजादी से पूर्व अविभाजित बिहार में देश की पहली स्वदेशी कंपनी टाटा स्टील में 1924 में मजदूरों ने हड़ताल कर दिया था, जिससे प्लांट पूरी तरह ठप पड़ गया. गांधी जी से बातचीत के बाद मजदूरों ने ये हड़ताल खत्म कर दी थी.
मजदूरों की हड़ताल की खबर सुनकर गांधी जी 8 अगस्त 1925 में पहली बार जमशेदपुर पहुंचे. जहां यूनाइटेड क्लब में मजदूरों के साथ घंटों सभा चली. इस दौरान गांधी जी ने कहा कि हड़ताल समस्या का समाधान नहीं है. उन दिनों जमशेदपुर लेबर एसोशिएशन के बैनर तले टाटा स्टील के मजदूर हड़ताल पर थे. इस दौरान बिष्टुपुर के आउटर सर्किल रोड स्थित S6 क्वार्टर नंबर 1 में महात्मा गांधी ने वक्त बिताया था और मजदूरों, प्रबंधन के बीच समझौता कराकर हड़ताल समाप्त कराया गया.
पंडित जवाहर लाल नेहरू के साथ दूसरी बार आए थे जमशेदपुर
यूनियन के उपाध्यक्ष शाहनवाज आलम बताते हैं कि उसी क्वार्टर में गांधी जी ने जमशेदपुर लेबर एसोसिएशन के कार्यालय का उद्घाटन किया था. इस दौरान यूनियन के लीडरों को कहा गया था कि एक अच्छे लीडरशिप के लिए यूनियन जरूरी है और यूनियन के साथ प्रबंधन समय-समय पर वार्ता कर सकें, इसके लिए यूनियन का अपना एक कार्यालय भवन होना जरूरी है. जिसके बाद टाटा वर्कर्स यूनियन का अपना एक कार्यालय भवन बनकर तैयार हुआ.