उदयपुरः महाशिवरात्रि के पावन पर्व को मनाने के लिए देशभर के विभिन्न मंदिरों में तैयारियां पूरी कर ली गई हैं. ऐसे में ईटीवी भारत आपको आज उदयपुर में स्थित एकलिंग जी महादेव के प्राचीन मंदिर से रूबरू करवा रहा है. हजारों वर्ष पुराना भगवान एकलिंग नाथ जी के इस मंदिर से भक्तों की विशेष आस्था जुड़ी हुई है. इस मंदिर में भगवान भोलेनाथ को 'राजा' के रूप में पूजा जाता है. महाशिवरात्रि के पर्व पर यहां भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचते हैं.
कहलाते हैं मेवाण के 'महाराणा': उदयपुर के एकलिंग नाथ महादेव को मेवाड़ के महाराणा (राजा) के रूप में पूजा जाता है और मेवाड़ के महाराणा खुद को दीवान मानकर राजकार्य संपन्न करते हैं. ऐसा आज से नहीं, बल्कि 1500 वर्षों से होता आया है. हर रोज बड़ी संख्या में भक्त भगवान एकलिंग नाथ के दरबार में हाजिरी लगाने के लिए पहुंच रहे हैं. प्रभु से अपनी मनोकामनाओं के साथ भगवान से सुख शांति की कामना कर रहे हैं.
एकलिंग जी भगवान को लेकर किसने क्या कहा, सुनिए... (ETV Bharat Udaipur) उदयपुर से 22 किमी और नाथद्वारा से लगभग 26 किमी दूर राष्ट्रीय राजमार्ग 48 पर कैलाशपुरी नाम का स्थान है, जहां भगवान एकलिंग नाथजी का विश्व प्रसिद्ध मंदिर है. इस मंदिर में देश दुनिया से हर साल लाखों की संख्या में भक्त अपने आराध्य देव के दर्शनों के लिए पहुंचते हैं. ईटीवी भारत की टीम भगवान एकलिंग नाथ जी के मंदिर पहुंची, जहां देखा कि दूर-दराज से पहुंचीं महिलाएं भगवान एकलिंग नाथ के जयकारे लगा रही थीं. भगवान भोलेनाथ के भजनों पर नाचते गाते हुए उन्हें रिझा रही थीं.
एकलिंग जी मंदिर के बाहर लगी भक्तों की भीड़ (ETV Bharat Udaipur) पढे़ं :महाशिवरात्रि : भगवान शिव को प्रसन्न करने के अचूक उपाय, जानिए कैसे करें पूजा - MAHASHIVARATRI 2025
कुल देवता के रूप में पूजे जाते हैं एकलिंग नाथ जी : भगवान एकलिंग नाथ मेवाड़ के पूर्व महाराजाओं और यहां की प्रजा के कुल देवता के रूप में पूजे जाते हैं. इतिहासकार चंद्रशेखर शर्मा ने बताया कि जब भी कोई राजा युद्ध लड़ने के लिए जाता, उससे पहले वह भगवान एकलिंग नाथ के दरबार में जरूर पहुंचता था. उदयपुर के एकलिंग नाथ महादेव को मेवाड़ के महाराणा के रूप में पूजा जाता है और मेवाड़ के महाराणा खुद को दीवान मानकर राज कार्य संपन्न करते हैं.
मंदिर के अंदर दर्शन करने जाते हुए भक्त (ETV Bharat Udaipur) इतिहासकारों ने बताया कि ऐसा आज से नहीं, बल्कि सदियों से होता आया है. इतिहासकार ने बताया कि युद्ध क्षेत्र में लड़ाई लड़ने के दौरान जब राजा विजयी घोषित होते थे तो युद्ध के मैदान में मेवाड़ जय स्वामी भगवान एकलिंग नाथ के जयकारे गूंजते थे. शर्मा ने बताया कि बप्पा रावल के काल से मेवाड़ के राजा एकलिंग नाथ को माना जाता है. राजतंत्र के दौरान लिखे गए कई पत्रों में जब किसी को महाराणा आदेश देते तो वे पत्र के अंदर मेवाड़ के दीवान के आदेश से शब्द को काम में लेते थे.
एकलिंग जी मंदिर का लिखा हुआ इतिहास (ETV Bharat Udaipur) देश के कोने-कोने से पहुंचते हैं भक्त : स्थानीय व्यक्ति अशोक ने बताया कि मेवाड़ के अधिपति के रूप में भगवान एकलिंग नाथ की पूजा-अर्चना की जाती है. यहां देश-दुनिया से बड़ी संख्या में श्रद्धालु भगवान महादेव के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं. उन्होंने बताया कि जितना पुराना यह प्राचीन मंदिर है, उतनी ही पुरानी इस मंदिर की आस्था है. कहा जाता है कि भगवान के दर्शन मात्र से ही भक्तों की मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं. अशोक ने बताया कि भगवान एकलिंग नाथ जी के मंदिर में चौमुखी शिवलिंग विद्यमान हैं, जिसके चार मुख हैं. यहां ब्रह्मा, विष्णु, महेश और सूर्य विद्यमान हैं. इसे एकलिंग नाथ के नाम से जानते हैं. एकलिंग जी मंदिर में इस बार महाशिवरात्रि के अवसर पर विशेष पूजा आराधना की जाएगी.
भगवान दर्शन को लेकर भक्तों में उत्साह (ETV Bharat Udaipur) भगवान एकलिंग नाथ के दर्शन का समय : भगवान एकलिंग नाथ के मंदिर के पट सुबह 4 बजे 6:30 बजे तक खुले रहते हैं. इसके बाद 10:30 बजे से 1:30 बजे तक दर्शन होते हैं. वहीं, शाम को 5:30 से 8:00 बजे तक मंदिर में दर्शन होते हैं. इस दौरान भगवान त्रिकाल पूजा की जाती है.