अलीगढ़: अलीगढ़ के हारून कला में सोमवार को किसान महापंचायत का आयोजन किया गया. जिसमें किसान नेता राकेश टिकैत भी पहुंचे. महापंचायत में चार महीने से चल रहे जमीन विवाद और किसानों की समस्याओं को लेकर जिला प्रशासन के अधिकारियों से चर्चा की गई. राकेश टिकैत की मौजूदगी में एडीएम और एसपी ने किसान नेताओं से बातचीत किया. जिसमें ये सहमति बनी की किसानों के नाम पर जमीन दर्ज है, उन्हें उनके खेतों पर काम करने से नहीं रोका जाएगा. जिसके बाद राकेश टिकैत ने किसान आंदोलन समाप्ति की घोषणी की.
दरअसल, किसानों का आरोप है कि साल 1966 से पहले जिन जमीनों पर वे खेती कर रहे थे, वे उनके नाम दर्ज थीं. बाद में ये जमीन गंगा नदी में शामिल कर दी गई और सरकारी दस्तावेजों में इसे वन विभाग को आवंटित दिखा दिया गया. किसानों का आरोप है कि सरकार इस संबंध में कोई स्पष्ट डाटा नहीं दिखा पाई कि ये जमीन वन विभाग को कब और कैसे दी गई. किसान वर्षों से इन जमीनों पर खेती करते आ रहे हैं और यही उनके आजीविका का आधार है. पिछले चार महीनों से किसान आंदोलनरत थे, ताकि उन्हें उनकी जमीन वापस मिले और उनकी समस्याओं का समाधान हो.
राकेश टिकैत की मौजूदगी में किसान महापंचायत का आयोजन (Video Credit; ETV Bharat) किसान महापंचायत के दौरान राकेश टिकैट और अन्य किसान नेताओं और प्रशासन के बीच बातचीत हुई. एडीएम प्रशासन पंकज कुमार और एसपी देहात भी इस बैठक में मौजूद थे. बातचीत के बाद ये सहमति बनी कि जिन किसानों के नाम पर जमीन दर्ज है, उन्हें उनके खेतों पर काम करने से नहीं रोका जाएगा. इसके अलावा, अगले साल से उन जमीनों पर वृक्षारोपण का कार्य नहीं किया जाएगा. प्रशासन ने ये भी स्पष्ट किया कि जिन किसानों के नाम जमीन नहीं है, उन्हें दूसरी जगह पट्टा देने की प्रक्रिया की जाएगी, ताकि उनकी आजीविका प्रभावित न हो.
वहीं किसान नेता राकेश टिकैत ने महापंचायत में किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि, प्रशासन से बातचीत सकारात्मक रही है. उन्होंने किसानों से अपील की कि वे अब अपने खेतों में लौटकर खेती के काम शुरू करें और जुताई करें. राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार को किसानों की समस्याओं को प्राथमिकता से हल करना चाहिए. किसानों ने मांग की कि भविष्य में उनकी जमीनों पर किसी भी प्रकार की सरकारी कार्रवाई से पहले उनसे सलाह ली जाए. चार महीने के आंदोलन के बाद बनी सहमति से किसान संतुष्ट नजर आ रहे हैं.
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