प्रयागराज :हर वर्ष त्रिवेणी की रेती पर लगने वाले माघ मेले में एक ऐसी शख्सियत भी पहुंचती है, जिनकी संत समाज में विशेष स्थान हासिल करने की कहानी बड़ी दिलचस्प है. ये हैं किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर भवानी मां. आपको जानकर हैरत होगी कि भवानी मां का पहले नाम हाजी शबनम था. उन्होंने हज भी किया है. इसके साथ ही राजनीति में भी सक्रिय रहीं और आम आदमी पार्टी से चुनाव भी लड़ा. आइए जानते हैं प्रयागराज में कल्पवास कर रहीं धर्म गुरू भवानी मां की दिलचस्प कहानी.
13 साल की उम्र में छोड़ दिया घर
धर्म गुरू भवानी मां ने ईटीवी भारत से अपनी जीवन यात्रा साझा की. बताती हैं, वह मूलरूप से बुलन्दशहर की रहने वाली है, लेकिन जन्म दिल्ली में हुआ. पिता डिफेंस मिनिस्ट्री में काम करते थे. जब 10 वर्ष की हुईं तो पता चला कि वे किन्नर हैं. धीरे-धीरे ये बातें समाज में फैलने लगीं. लोग सड़क चलते परेशान करने लगे. इसके बाद 13 वर्ष की उम्र में घर छोड़ दिया. लेकिन जहां भी जातीं शोषण का शिकार होना पड़ता. इतना ही नहीं, रेड लाइट एरिया में भी भी काफी दिनों तक मांगकर पेट भरा. कहती हैं, तब मैंने मन बना लिया कि किन्नर समुदाय में शामिल हो जाऊं तो थोड़ी राहत मिलेगी.
इस्लाम कबूल किया और हज पर गईं
भवानी बताती हैं, मेरी पहली गुरु हाजी नूरी बनीं. उन्होंने मुझे इस्लाम धर्म कबूल करवाया. इसके बाद मैं शबनम बेगम बन गई. 2012 में मैं हज के लिए गई. वहां से लौटने पर शबनम हाजी कहलाने लगी. फिर मुस्लिम धर्म छोड़ना पड़ा. कहती हैं, किन्नर समाज के नाते लोगों के घर बधाइयां लेने जाने में विरोध होता था. इस कारण से काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा. अपने समाज के हित को देखते हुए एक बार फिर हिंदू धर्म में लौटना ही उचित समझा.