वाराणसी : प्रयागराज और वाराणसी में कुंभ से पहले गंगा की वर्तमान स्थिति को लेकर राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) में सुनवाई चल रही है. शुक्रवार को उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से प्रयागराज में गंगा की वर्तमान स्थिति को लेकर रिपोर्ट फाइल न किए जाने पर एनजीटी ने कड़ी नाराजगी जताई है. एनजीटी ने नाराजगी जताते हुए 9 दिसंबर को वन और पर्यावरण मंत्रालय के प्रमुख सचिव को ही तलब कर लिया है. एनजीटी के तीन जजों की बेंच ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि कुंभ से पहले गंगा की वर्तमान स्थिति क्या है, यह जानना बेहद आवश्यक है. खासतौर पर प्रयागराज और वाराणसी जहां पर लाखों लोग आस्था के साथ पहुंचेंगे.
इस मामले में सीनियर एडवोकेट सौरभ तिवारी ने याचिका दायर की है. याचिका पर सुनवाई करते हुए एनजीटी कोर्ट ने शुक्रवार को यह बातें कहीं हैं. एनजीटी ने मुख्य सचिव, उप्र सरकार की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय कमेटी द्वारा प्रयागराज में गंगा जल की शुद्धता को लेकर रिपोर्ट नहीं जमा करने पर गहरी नाराजगी प्रकट की है. एनजीटी ने प्रधान/प्रमुख सचिव, वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, उप्र सरकार को 9 दिसंबर को उपस्थित होने का आदेश दिया है.
एनजीटी ने मौखिक टिप्पणी करते हुए सरकार के अधिवक्ता से कहा कि 'जब दो महीने में मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय कमेटी रिपोर्ट नहीं जमा कर पा रही है, तब महाकुंभ के पहले कमेटी कैसे कार्रवाई करेगी? कमेटी वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से भी बैठकें कर सकती थी. एनजीटी की पीठ ने कहा कि हमने 23 सितंबर को आदेश पारित किया, लेकिन उच्च स्तरीय कमेटी ने 7 नवंबर से काम करना शुरू किया. एनजीटी के चेयरपर्सन न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव ने मौखिक रूप से टिप्पणी करते हुए कहा कि यह गंभीर मसला है. मेले में करोड़ों लोग आते हैं, अगर सीवेज के मल-जल को गंगा में गिरने से नहीं रोका गया तो लोगों का स्वास्थ्य प्रभावित होगा.
उत्तर प्रदेश सरकार के अधिवक्ता ने कहा कि कल रात हमें पत्र मिला, जिसमें उच्च स्तरीय कमेटी की रिपोर्ट के लिए समय की मांग की गई है. सरकार के वकील ने कहा कि मुख्य सचिव, उप्र सरकार की रिपोर्ट पर बस हस्ताक्षर की जरूरत है, जिस पर एनजीटी ने कहा कि हस्ताक्षर करना तो 20 से 30 सेकेंड का काम है. एनजीटी ने कहा कि हम और समय नहीं दे सकते. 9 दिसंबर की तारीख लगा रहे हैं. वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के प्रमुख सचिव को उपस्थित होना होगा. एनजीटी ने कहा कि समय की मांग के लिए ट्रिब्यूनल को कोई भी आवेदन पत्र नहीं भेजा गया. एनजीटी ने सरकार के वकील से कहा कि उच्च स्तरीय कमेटी के सदस्यों के बजाय कोई अन्य अधिकारी ने समय की मांग के लिए पत्र भेजा है. एनजीटी ने उत्तर प्रदेश सरकार के अधिवक्ता से कहा कि आपकी कार्यशैली से इस ट्रिब्यूनल और जनता में क्या संदेश जाएगा.