प्रयागराज: अखिल भारतीय पंच निर्मोही अनी अखाड़ा की स्थापना 14वीं से 15वीं शताब्दी के बीच की बतायी जाती है. क्योंकि, वैष्णव सम्प्रदाय वाले निर्वाणी अनी, निर्मोही अनी और दिगम्बर अनी तीनों अखाड़ों की स्थापना का समय एक समान ही बताया जाता है. हालांकि श्री पंच दिगम्बर अनी अखाड़ा की स्थापना का समय सन 1475 बताया गया है. लेकिन, कुछ किताबों में इस अखाड़े की स्थापना का समय सन 1750 बताया गया है.
श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़े के साधुओं ने सनातन धर्म की रक्षा के साथ ही झांसी की रानी लक्ष्मी बाई के अंतिम समय में अंग्रजों से बचाने में उनकी मदद भी की थी. फिलहाल यह अखाड़ा सनातन धर्म की रक्षा के लिए देश भर में फैली अपनी शाखाओं के जरिए उसका प्रचार प्रसार करने में जुटा हुआ है.
अखिल भारतीय श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़ा के महंत रामजी दास महाराज ने बताया कि तीनों अनी अखाड़ों की स्थापना से लेकर सभी परंपराएं एक समान हैं. यही नहीं तीनों अखाड़े के ईष्टदेव भी हनुमान जी ही हैं. इस अखाड़े की अखाड़े की स्थापना भी 14वीं 15वीं शताब्दी के बीच की गई है और अखाड़े के ईष्ट देव हनुमान जी हैं.
उन्होंने बताया कि श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़े का उद्देश्य सिर्फ सनातन धर्म और साधुओं की रक्षा करना है. इसका मुख्यालय पहले वृंदावन में था और वर्तमान में गुजरात में है. निर्मोही अनी अखाड़े के नौ उप अखाड़े हैं जिसमें श्री पंच रामानंद निर्मोही अखाड़ा, श्री पंच झाड़िया निर्मोही अखाड़ा, श्री पंच राधावल्लभी निर्मोही अखाड़ा, श्री पंच मालाधारी निर्मोही अखाड़ा, श्री पंच विष्णुस्वामी निर्मोही अखाड़ा, श्री पंच हरिहर व्यास निर्मोही अखाड़ा समेत कुल 9 उप अखाड़े हैं. इस अखाड़े की धर्म ध्वजा केसरिया रंग की होती है और उसके बीच में हनुमान जी का चित्र भी बना रहता है.
कैसे हुई अनी अखाड़ों की स्थापना:अनी अखाड़ों की स्थापना को लेकर श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़ा के श्रीमहन्त रामजी दास महाराज ने बताया कि अनी अखाड़ों की स्थापना सनातन धर्म की रक्षा साधुओं की रक्षा और अधर्म का विनाश करने के लिए किया गया है. यह कार्य बालानंदाचार्य ने उस समय किया था जब हमारे देश में धर्म के प्रतीक मठ मंदिरों और सनातन धर्मियों पर आक्रमण किया जा रहा था.