भोपाल। एमपी की राजनीति के इतिहास में रामनिवास रावत अकेले नेता हैं जिन्होंने दो बार मंत्री पद की शपथ ले ली. कांग्रेस छोड़ने के 68 दिन के भीतर ही मंत्री बन गए. राम निवास रावत की ये स्काईलैब लैंडिंग जाहिर है उनकी अपनी पार्टी के उन सीनियर विधायकों के गले नहीं उतरेगी. जो अपनी ही पार्टी की सरकार में साल दर साल कतार में बने हुए हैं. इनमें सबसे मुखर विधायक रहे हैं अजय विश्नोई, लेकिन अब गोपाल भार्गव के सब्र का बांध भी टूट रहा है. बाकी नेता मीडिया में भले कुछ ना कह रहे हों, लेकिन मौका और मंच देखकर दर्द ए बयां करने की तैयारी किए बैठे हैं. शर्त के साथ बीजेपी में आए रावत की एंट्री से बीजेपी में बढ़ी नाराजगी क्या पार्टी संगठन और सरकार के लिए नई चुनौती बनेगी.
कैबिनेट में आने वालों की कतार लंबी पद केवल तीन
मोहन कैबिनेट का कुल जमा एक कांग्रेस विधायक के लिए किया गया मंत्रिमण्डल विस्तार. क्या बीजेपी के ही कई विधायकों के गले नहीं उतरा है. पार्टी फ्रंट पर खुलकर नाराजगी भले सामने नहीं आई, लेकिन इशारों में तो कहा जा रहा है. असल में राम निवास रावत को जिस समय मंत्री बनाया गया, उस समय भी बीजेपी में मंत्री पद की कतार में बैठे सीनियर विधायकों की लंबी फौज है. इसमें कई तो जीत के रिकार्डधारी भी हैं. गोपाल भार्गव से लेकर रमेश मैंदोला का नाम उन्हीं विधायकों में आता है. जिन्होंने जीत के रिकार्ड बनाए हैं.
पंद्रह हजार दिन से विधायक हूं: पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव
बीजेपी की सरकारों में कैबिनेट मंत्री रहे जयंत मलैया, अर्चना चिटणीस, सीताशरण शर्मा, उषा ठाकुर जैसे नेता भी हैं. पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव कह चुके हैं कि वे पंद्रह हजार दिन से विधायक हैं. उसके बाद उनका ये बयान भी आया के अगर मैंने अपने काम के बारे में बताया तो ये कोई अनहोनी जैसी बात तो नहीं है. अजय विश्नोई तो अपनी ही पार्टी के विधायकों के मंत्री बनने के बाद अपनी पीड़ा पिछली सरकार के दौर से जाहिर करते रहे हैं. अब भी नाराजगी कायम है, लेकिन अब विरोध का ढंग बदल गया है.
समझौते की शर्तें की जा रहीं पूरी: वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश भटनागर
क्या ये कांग्रेसियों की आवक और नवाजा जाना बीजेपी में नए असंतोष का कारण बनेगा. वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश भटनागर कहते हैं, "इसकी संभावना 2020 में थी. तब से अब तक तो बहुत पानी बह गया है. कई कांग्रेसी बीजेपी का हिस्सा बन चुके हैं. अब बीजेपी के टिकट पर चुनाव जीतकर आ चुके हैं. ये वरिष्ठ विधायक भी जानते हैं कि ये समझौते की शर्ते हैं राजनीति की जिन्हें समय से पूरा किया जा रहा है."