दमोह: कहते हैं कि आज के बच्चे देश के आने वाले कल का भविष्य हैं, लेकिन यह भविष्य अपनी जान जोखिम में डालकर रोज शिक्षा ग्रहण करने स्कूल पहुंच रहा है. सागर जिले के शाहपुर ग्राम में घटित हुई हृदय विदारक घटना के बाद प्रदेश सरकार ने जर्जर भवनों के लिए आवश्यक दिशा निर्देश दिए हैं. इस बीच हम जिले के एक ऐसे स्कूल में पहुंचे. जहां पर पढ़ने के लिए आने वाले मासूम बच्चों के साथ कब कोई हादसा हो जाए, कहा नहीं जा सकता. यह मासूम हर दिन अपनी जान दांव पर लगाकर पढ़ने के लिए स्कूल आते-जाते हैं, दरअसल हटा अनुविभाग में आज भी कई ऐसे स्कूल व शासकीय भवन हैं, जहां सदैव हादसों का भय बना रहता है.
टपक रही स्कूल की छत
ऐसे ही स्कूल की बानगी हटा नगर से मात्र 05 किलोमीटर दूर पटेरा विकासखण्ड के जमुनिया गांव में देखने मिली. जहां साल 1998 से शासकीय प्राथमिक शाला संचालित है. वर्तमान में यहां छात्रों की दर्ज संख्या मात्र 24 है. जिन्हें दो शिक्षकों द्वारा अध्ययन कराया जा रहा है. यहां वर्ष 2007-08 में अतिरिक्त कक्ष का निर्माण हुआ था. वहीं पर अभी कक्षाएं लग रही हैं. स्कूल की हालत ऐसी है कि कभी भी छत गिर सकती है. पास ही में एक खाई भी है, जिसमें पानी भरा रहने से हादसा होने का भय बना रहता है. अभी हाल भी छत का पूरा प्लास्टर उखड़ चुका है. आए दिन थोड़ी-थोड़ी गिट्टी और प्लास्टर नीचे गिरता रहता है. जरा सी बारिश होती है तो पानी क्लास के अंदर ही भरने लगता है.
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