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जान से ज्यादा जरूरी भविष्य! दमोह में जर्जर टपकती छत के नीचे संवर रहा नौनिहालों का भविष्य - Madhya Pradesh Education System

एमपी में इस समय बारिश का दौर जारी है. ऐसे नदी-नाले तो उफान पर हैं, साथ ही स्कूलों, गांव की सड़कों और पुलों की पोल भी खुलती नजर आ रही है. दमोह में नौनिहाल अपनी जान दांव पर लगाकर शिक्षा ग्रहण करने स्कूल पहुंच रहे हैं.

MADHYA PRADESH EDUCATION SYSTEM
दमोह में जर्जर टपकती छत के नीचे संवर रहा नौनिहालों का भविष्य (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Aug 7, 2024, 3:27 PM IST

Updated : Aug 7, 2024, 3:36 PM IST

दमोह: कहते हैं कि आज के बच्चे देश के आने वाले कल का भविष्य हैं, लेकिन यह भविष्य अपनी जान जोखिम में डालकर रोज शिक्षा ग्रहण करने स्कूल पहुंच रहा है. सागर जिले के शाहपुर ग्राम में घटित हुई हृदय विदारक घटना के बाद प्रदेश सरकार ने जर्जर भवनों के लिए आवश्यक दिशा निर्देश दिए हैं. इस बीच हम जिले के एक ऐसे स्कूल में पहुंचे. जहां पर पढ़ने के लिए आने वाले मासूम बच्चों के साथ कब कोई हादसा हो जाए, कहा नहीं जा सकता. यह मासूम हर दिन अपनी जान दांव पर लगाकर पढ़ने के लिए स्कूल आते-जाते हैं, दरअसल हटा अनुविभाग में आज भी कई ऐसे स्कूल व शासकीय भवन हैं, जहां सदैव हादसों का भय बना रहता है.

दमोह के सरकारी स्कूल की छत टपक रही (ETV Bharat)

टपक रही स्कूल की छत

ऐसे ही स्कूल की बानगी हटा नगर से मात्र 05 किलोमीटर दूर पटेरा विकासखण्ड के जमुनिया गांव में देखने मिली. जहां साल 1998 से शासकीय प्राथमिक शाला संचालित है. वर्तमान में यहां छात्रों की दर्ज संख्या मात्र 24 है. जिन्हें दो शिक्षकों द्वारा अध्ययन कराया जा रहा है. यहां वर्ष 2007-08 में अतिरिक्त कक्ष का निर्माण हुआ था. वहीं पर अभी कक्षाएं लग रही हैं. स्कूल की हालत ऐसी है कि कभी भी छत गिर सकती है. पास ही में एक खाई भी है, जिसमें पानी भरा रहने से हादसा होने का भय बना रहता है. अभी हाल भी छत का पूरा प्लास्टर उखड़ चुका है. आए दिन थोड़ी-थोड़ी गिट्टी और प्लास्टर नीचे गिरता रहता है. जरा सी बारिश होती है तो पानी क्लास के अंदर ही भरने लगता है.

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शिकायतों के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं

हेडमास्टर सविता ने बतायाकि 'इस संबंध में बीते दो वर्ष से विभाग से पत्राचार किया जा रहा है, लेकिन सुधार नहीं हो रहा है. भवन की हालत देखते हुए दर्ज संख्या भी कम होती जा रही है.' गांव की उपसरपंच सूरजरानी शर्माने बताया कि 'समय रहते इस भवन को नहीं सुधारा गया, तो कभी भी कोई बड़ा हादसा हो सकता है.' जबकि इस मामले में कलेक्टर सुधीर कुमार कोचरका कहना है कि 'सभी शासकीय और अशासकीय भवनों की स्थिति जांचने के लिए संबंधित तहसीलदारों, जनपद पंचायत सीईओ, नगर पालिका और नगर परिषदों के अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वह अपने क्षेत्र का सर्वे करे और जर्जर भवनों की जानकारी तत्काल ही उपलब्ध कराएं.

यदि भवन संचालित हैं, तो वहां का विभाग कहीं और शिफ्ट किया जाए और पुराने भवनों को गिराया जाए. स्कूल शिक्षा विभाग को भी निर्देश दिए गए हैं कि वह शीघ्र ही जहां मरम्मत होना है, मरम्मत कराई जाए या मरम्मत नहीं हो सकती है तो उन भवनों को खाली कर दिया जाए.'

Last Updated : Aug 7, 2024, 3:36 PM IST

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