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108 शक्तिपीठों में एक है सीतापुर का मां ललिता देवी मंदिर, नवरात्र पर उमड़े भक्त - Maa Lalita Devi Temple in Sitapur

उत्तर प्रदेश के सीतापुर में स्थित मां ललिता देवी मंदिर 108 शक्तिपीठों में से एक है.

मां ललिता देवी मंदिर
मां ललिता देवी मंदिर (Photo credit: ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 5, 2024, 9:33 AM IST

सीतापुर : वेदों और पुराणों की रचना स्थली, 33 करोड़ देवी-देवताओं की वासस्थली और 88 हजार ऋषि मुनियों की तपस्थली नैमिषारण्य तीर्थ को सभी तीर्थों में सबसे पुनीत माना जाता है. इस तीर्थ नगरी में स्थित मां ललिता देवी मंदिर को 108 शक्तिपीठाें में माना जाता है. यहां पर प्रतिदिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहां दर्शन पूजन करने आते हैं. इस तीर्थ नगरी की मान्यता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यहां श्रीलंका, नेपाल और भूटान के अलावा देश के चंडीगढ़, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात, आंध्रप्रदेश, मध्यप्रदेश, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश आदि राज्यों से यहां आकर लोग दर्शन-पूजन कर पुण्य लाभ प्राप्त करते हैं. विभिन्न पुराणों एवं दूसरे धर्मग्रंथों में इस तीर्थ नगरी का वर्णन है


मंदिर का इतिहास : देवी भागवत में नैमिषारण्य की ललिता देवी का वर्णन 108 शक्ति पीठों में आता है. देवी भागवत में लिखा है कि दक्ष द्वारा अपने पति के अपमान को न सह सकीं तथा अपने प्राणों की आहुति दे दी. तब शंकर जी ने अपने गणों के द्वारा यज्ञ को नष्ट-भ्रष्ट कर डाला और सती के शव को लेकर इधर-उधर विचरण करने लगे. बताया जाता है कि यह देखकर विष्णु भगवान ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शव के टुकड़े कर दिए. देवी सती के शरीर के अंश जिन-जिन स्थानों पर गिरे वहां पर देवी पीठ बन गया. त्रिपुरसुंदरी, राजराजेश्वरी, श्रीमाता, श्रीमतसिंहासनेश्वरी जैसे अनेक पावन नामों से विख्यात मां ललिता देवी की पूरे भारत में बड़ी महिमा है. पुराणों में इनका वर्णन लिंग धारिणी के नाम से आता है, किंतु अब यह मंदिर ललिता देवी मंदिर के रूप में जाना जाता है.

मां ललिता देवी मंदिर (Video credit: ETV Bharat)

मंदिर की विशेषता : मां ललिता देवी के मंदिर में पूरे वर्ष श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है. इस मंदिर पर पूरे नवरात्र बड़ी संख्या में पुजारी, साधु, संत और श्रद्धालु दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं. नया काम शुरू करने से पूर्व, वाहन खरीदने पर, नौकरी पाने पर प्रतिदिन बड़ी संख्या में लोग मां का पूजन करने आते हैं. इसके अलावा यहां पर मुंडन, अन्नप्राशन आदि संस्कारों कराने भी लोग आते हैं. मंदिर के बाहरी और भीतरी दीवारें इसकी प्राचीनता और भव्यता को दर्शाती हैं. इसके गर्भ गृह में पूर्व दिशा में मां की प्रतिमा स्थापित है. देवी कवच में माता ललिता को हृदय की रक्षा करने वाली शक्ति कहा गया है. इनके दर्शन और ध्यान करने से हृदय की पीड़ा शांत होती है. नवरात्र में मंदिर परिसर में सैकड़ों भक्त जन ललिता सहस्रनाम, दुर्गा सप्तशती, देवी कवच का पाठ कर माता की आराधना करते हैं.

फूलों से सजाया जाएगा दरबार :आदि शक्ति पीठ मां ललिता देवी मंदिर के प्रबंधक बमशंकर दीक्षित ने बताया कि शारदीय नवरात्र में प्रतिदिन मां ललिता देवी के दरबार को ताजे और रंग-बिरंगे फूलों से सजाया जाएगा. नियमित रूप से सुबह और संध्याकालीन आरती की जाएगी. अष्टमी के दिन माता रानी को छप्पन भोग अर्पित किए जाएंगे.



भक्तों की पूरी होती है मनोकामना :आदि शक्ति पीठ मां ललिता देवी मंदिर के प्रधान पुजारी गोपाल शास्त्री ने बताया कि मां ललिता का दर्शन मात्र कर लेने से बड़े से बड़ा संकट कट जाता है और हृदय से कामना करने पर भक्त की हर मनोकामना पूरी होती है. यह मेरे पूर्व जन्मों के पुण्य का ही प्रताप है कि मां ललिता देवी के श्रीचरणों की सेवा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है. इस शक्तिपीठ पर हर साल लाखों श्रद्धालु यहां आकर देवी मां की आराधना पर शीश झुकाते हैं.


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