नई दिल्लीः रविवार देर शाम हुई बारिश के बाद दिल्ली NCR में ठंड बढ़ने लगी है. मौसम के करवट लेने के बाद ठंड बढ़ने से अस्पतालों में मरीजों की संख्या भी बढ़ रही है. सर्दी के मौसम में सामान्य तौर पर बुखार, खांसी, जुकाम और सांस के मरीजों की संख्या अस्पतालों में बढ़ने लगती है.
गाजियाबाद के जिला MGM अस्पताल की OPD में सांस के मरीजों की संख्या में करीब 25 प्रतिशत तक इजाफा हुआ है. हालांकि, कई मरीज ऐसे भी पहुंच रहे हैं, जिन्हें सांस से संबंधित ज्यादा परेशानी होने पर अस्पताल में भर्ती करना पड़ रहा है. जिला MGM अस्पताल की OPD में सोमवार को 2135 और मंगलवार को 2240 मरीज पहुंचे.
सांस से जुड़ी बीमारियों से बचाव के सुझाव (ETV Bharat) ठंड के मौसम में फिजिकल एक्टिविटी जरूरी:वरिष्ठ चिकित्सक डॉ बीपी त्यागी के मुताबिक ठंड के मौसम में ठंडी हवा सांस की नालियों को सिकुड़ देती है. जिसके कारण सांस लेने में परेशानी होने लगती है. ठंड के मौसम में विशेष तौर पर अस्थमा और ब्रैंकोइटिस के मरीजों को काफी परेशानी उठानी पड़ती है. ठंड बढ़ने के साथ ब्रोंकाइटिस के मरीजों का कफ बढ़ने लगता है. जिसके कारण सांस लेने में तकलीफ का एहसास होता है. सर्दी के मौसम में कम सक्रिय रहने के कारण शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है. ठंड के मौसम में थोड़ी बहुत फिजिकल एक्टिविटी करनी आवश्यक है. यदि सांस से संबंधित किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो डॉक्टर से सलाह लेने के बाद फिजिकल एक्टिविटी कर सकते हैं.
प्रदूषित हवा में सांस से फेफड़ों में सूजन का खतरा: डॉ बीपी त्यागी के मुताबिक ठंड के मौसम के दौरान कई दिनों तक धूप ना निकलने पर सामान्य तौर पर देखा गया है कि प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है. प्रदूषण में पीएम 2.5 और पीएम 10 के कारण मौजूद होते हैं. सास के रास्ते फेफड़ों तक इन कणों के पहुंचने से फेफड़ों पर और अधिक दबाव बढ़ जाता है. ठंड के मौसम में लंबे समय तक प्रदूषित हवा में सांस लेने से फेफड़ों में सूजन का खतरा बना रहता है. ठंड के मौसम में विशेष तौर पर सांस की बीमारियों से ग्रसित लोगों को धूप निकलने पर ही बाहर निकलना चाहिए.
सांस से जुड़ी बीमारियों से बचाव के सुझाव (ETV Bharat) - लंबे समय तक खांसी और जुकाम होना.
- थोड़ी बहुत फिजिकल एक्टिविटी करने पर सांस फूलना.
- सीने में जकड़न का एहसास होना.
- सांस लेने में तकलीफ का एहसास होना.
- खांसी के साथ खून का आना
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