बीकानेर : मंगल 7 दिसंबर यानि शनिवार को सुबह 4:56 अपनी नीच जलतत्व की राशि कर्क में वक्री हुए तथा 24 फरवरी 2025 को इसी राशि मे पुनः मार्गी होंगे. वक्री अवस्था में मंगल पुष्य एवं पुनर्वसु नक्षत्र पर गोचर करेंगे, जिसमें पुनर्वसु नक्षत्र पर भ्रमण अपेक्षाकृत अनुकूल रहेगा. मंगल के कर्क राशि मे वक्री होने से सकारात्मक कार्य ऊर्जा में कमी तथा दुर्घटनाओं में वृद्धि संभावना रहेगी.
वैदिक ज्योतिष में मंगल एक महत्वपूर्ण ग्रह है जो कि जातक के साहस, ऊर्जा, निर्णय लेने की क्षमता और आत्मबल का निर्धारण करता है. यह ग्रह भूमि, वाहन, मशीनों और ऊर्जा उपकरणों का द्योतक होता है और साथ ही मनुष्य के शरीर मे खून, हड्डियों, चोट, ऑपरेशन का कारक होता है. मंगल प्रबल होने पर व्यक्ति की ऊर्जा सकारात्मक कार्यों में और दुर्बल होने पर नकारात्मक कार्यों में परिसंचरण करती है. ज्योतिर्विद डॉ. आलोक व्यास के अनुसार अनुशासित जीवन एवं सावधानी से वक्री मंगल के प्रतिकूल परिणामों से बचा जा सकता है. मंगल के वक्री होने से विभिन्न राशियों पर राशि अनुसार प्रभाव दृष्टिगोचर हो सकते हैं.
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मेष :गृहस्थान पर नवाचार, भूमि मकान वाहन के क्रय विक्रय के अवसर, मन में बेचैनी तथा माता संबंधित पीड़ा हो सकती है. शिव उपासना से लाभ होगा.
वृषभ : अल्प दूरी की यात्रा में वृद्वि, संप्रेषण कार्यों में लाभ, छोटे भाई बहन अथवा अधीनस्थ संबंधी चिंता या उनसे मतभेद, आत्म बल में कमी. गणेश उपासना से लाभ होगा.
मिथुन : पारिवारिक जिम्मेदारी अथवा कार्यों की अधिकता, स्थायी परिसंपत्ति में वृद्धि के प्रयास, नेत्र अथवा वाणी दोष खो सकता है. आर्थिक प्रतिकूलता. देवी उपासना से लाभ होगा.
कर्क : एकांतवास, आत्म चिंतन अथवा आत्ममनन, मानसिक पीड़ा में वृद्धि, आत्म छवि को लेकर असंतुष्टि. हनुमान उपासना से लाभ होगा.