लखनऊ : लखनऊ विश्वविद्यालय से संबद्ध फाइन आर्ट्स कॉलेज के बैचलर ऑफ फाइन आर्ट्स (बीएफए) के तीसरे वर्ष के छात्र ने एशिया बुक का ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड के साथ 5 वर्ल्ड रिकॉर्ड अपने नाम किए हैं. छात्र उज्जवल मिश्रा को तीन बड़े वर्ल्ड रिकॉर्ड टाइपोग्राफी चित्र के लिए मिले हैं, जिसमें उन्होंने भगवान राम के राम दरबार का पूरा चित्रण तैयार किया है. उन्होंने "सियाराम" लिखकर दरबार के पूरे चित्र को तैयार किया है. छात्र को अन्य दो वर्ल्ड रिकॉर्ड मंडल मोरल चित्रकार के लिए मिला है.
आर्ट्स कॉलेज के छात्र उज्जवल मिश्रा ने बताया कि जनवरी में भगवान राम की प्राण प्रतिष्ठा होने के बाद वह उनसे जुड़ी चीज को अपनी कला में उतरना चाह रहे थे. इससे प्रेरणा लेकर उन्होंने टाइपोग्राफिक फॉर्म में पूरा राम दरबार तैयार करने की योजना बनाई. उन्होंने बताया कि अपने हॉस्टल रूम में पहले एक पूरे राम दरबार का खाका तैयार किया. इसमें हिंदी में 51,000 बार 'सीता राम' लिखकर देवी सीता, भगवान राम और हनुमान का चित्र बनाया गया है. उन्होंने बताया कि इसकी लंबाई 69.29 इंच और चौड़ाई 264 सेमी है.
छात्र उज्जवल मिश्रा ने दी जानकारी (Video credit: ETV Bharat) उन्होंने बताया कि मुझे हिंदी में 'सीता राम' को पूरी गति से और कलात्मक तरीके से लिखने में लगभग 23 घंटे लगे, ताकि भगवान और देवी की तस्वीर एक चित्र के रूप में स्पष्ट रूप से दिखाई दे. छात्र उज्जवल मिश्रा ने बताया कि राम दरबार की टाइपोग्राफिक चित्र बनाने के लिए सबसे पहले उन्हें एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स द्वारा 'ग्रैंड मास्टर' की उपाधि दी गई है. इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड और वर्ल्डवाइड बुक ऑफ़ रिकार्ड्स इन लार्जेस्ट टोपोग्राफिक पोर्ट्रेट अवार्ड भी मिला है.
छात्र उज्जवल मिश्रा ने बताया कि परिवार के दबाव में उन्होंने कोविड के दौरान लखनऊ विश्वविद्यालय के संबद्ध डिग्री कॉलेज केकेसी पीजी कॉलेज में बीएससी फर्स्ट ईयर में एडमिशन लिया था. 1 वर्ष की पढ़ाई पूरी करने के बाद मेरा मन उसमें नहीं लगा. उन्होंने बताया कि मैं शुरू से ही फाइन आर्ट्स में अपना भविष्य बनाना चाह रहा था. मैंने बीएससी की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी. परिवार वालों को किसी तरह मनाकर लखनऊ विश्वविद्यालय के फाइन आर्ट्स कॉलेज में एडमिशन ले लिया और एंट्रेंस एग्जाम की तैयारी करता रहा. जब दूसरे साल मुझे प्रवेश क्लियर हुआ तब मैंने इसमें एडमिशन लिया, हालांकि मेरे माता-पिता और दूसरे लोग बीएससी छोड़ने के खिलाफ थे.
उनका कहना था कि बीएससी पूरा करने के बाद आसानी से नौकरी मिलेगी. फाइन आर्ट्स से नौकरी मिलने की संभावना न के बराबर है. बीएससी की एक साल पढ़ाई छोड़ने और स्ट्रीम बदलने का जोखिम उठाया, लेकिन बीएफए कोर्स के अंतिम वर्ष में उन्होंने तीन विश्व रिकॉर्ड अपने नाम कर लिए. जिसके बाद मेरे अभिभावकों को भी लगा कि मैं जरूर कुछ करूंगा. उन्होंने बताया कि मैं यह पुरस्कार अपनी दिवंगत मां और अपने पिता ओम शंकर मिश्रा को समर्पित करता हूं. वर्तमान में मेरे पिता एसजीपीजीआई में सहायक मंत्री पद पर कार्यरत हैं. मेरे सपने को पूरा करने में मेरी मां का बहुत योगदान है, जो मेरे लिए सहारा बनीं और जिन्होंने मुझे यह काम करने के लिए प्रेरित किया. कुछ महीने पहले दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया.
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