लखनऊ : उत्तर प्रदेश में दो से 15 अक्टूबर तक आयोजित सड़क सुरक्षा पखवाड़ा का समापन 16 अक्टूबर को लखनऊ के इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में हुआ. इस दौरान परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने 28 हाईटेक इंटरसेप्टर वाहनों का फ्लैग ऑफ किया. इन हाईटेक वाहनों से हेलमेट, सीट बेल्ट, रॉन्ग साइड और ओवर स्पीड का चालान किया जाएगा. सड़क और राजमार्ग मंत्रालय की रिपोर्ट के मुताबिक ओवर स्पीडिंग से 77 फीसदी सड़क दुर्घटनाएं होती हैं. इसी के चलते जिलों को इंटरसेप्टर वाहन दिए गए हैं. अमेठी, कौशांबी, भदोही, बस्ती, रायबरेली, बाराबंकी, अम्बेडकरनगर, महोबा और बलरामपुर सहित अन्य जिलों में ये वाहन भेजे जा रहे हैं. इसके अलावा सफाईकर्मी महिलाओं को मुफ्त हेलमेट भी दिए गए.
इस मौके पर परिवहन मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर सिंह ने कहा कि सड़क दुर्घटना में कमी लाना हमारे लिए चुनौती है. 2030 तक सड़क दुर्घटना में 50 फीसदी की कमी लाने का उद्देश्य है. सड़क सुरक्षा को हमें जन आंदोलन का रूप देना होगा. लोगों को हमें जागरूक करना होगा तभी हम अपना उद्देश्य प्राप्त कर सकेंगे. हम बदलेंगे तभी समाज बदलेगा. उत्तर प्रदेश में जितने लोगों की मौत कोरोना के दौरान नहीं हुई उससे अधिक एक साल में सड़क दुर्घटना में लोगों की मौत हुई है. उन्होंने कहा कि अब तक 1000 स्कूलों में रोड सेफ्टी क्लब की स्थापना की जा चुकी है. जिसके माध्यम से छात्रों को सड़क सुरक्षा के नियमों के प्रति जागरूक किया जा रहा है.
इस मौके पर परिवहन मंत्री ने सभागार में मौजूद छात्रों और अधिकारियों को सड़क सुरक्षा की शपथ भी दिलाई. उन्होंने कहा कि यातायात नियमों का उल्लंघन करने वाले लोगों पर कार्रवाई के लिए ही हाईटेक इंटरसेप्टर वाहन सौंपे जा रहे हैं. इन वाहनों में ऐसी हाईटेक मशीनरी का इस्तेमाल किया गया है कि नियम का उल्लंघन करने वाले को चालान की कार्रवाई से गुजरना ही पड़ेगा. अब तक दो चरणों में 66 इंटरसेप्टर वाहन उपलब्ध कराए जा चुके हैं. अब 70 वाहन और उपलब्ध कराए जाएंगे. परिवहन मंत्री द्वारा शंकर सिंह ने बताया कि सरकार की तरफ से सड़क सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ही सभी जिलों में एआरटीओ रोड सेफ्टी के साथ ही एएमवीआई की तैनाती करने का फैसला लिया गया है. इसकी प्रक्रिया तेजी से आगे बढ़ रही है. वित्त विभाग तक फाइल पहुंच चुकी है. बहुत जल्द जिलों में सड़क सुरक्षा अधिकारी तैनात होंगे, जिससे दुर्घटनाओं पर लगाम लगाई जा सकेगी.
परिवहन विभाग के मुख्य सचिव वेंकटेश्वर लू ने कहा कि कोई व्यक्ति दुर्घटना का शिकार नहीं होना चाहता है. सड़क सुरक्षा से हर व्यक्ति जुड़ा हुआ है. हमें निष्ठा के साथ काम करने वाले लोगों की पहचान करनी चाहिए. उन्हें ऐसे काम में लगाना चाहिए. सड़क सुरक्षा जागरूकता हमें बढ़ाना होगा जिससे 50 फीसदी सड़क दुर्घटना में कमी लाई जा सके. पूरी तरह से परिवहन विभाग में फेस लेस काम होगा. पीपीपी प्रोजेक्ट को लेकर मुख्यमंत्री लगातार कह रहे थे. विश्वास नहीं था यह पूरा हो पाएगा, लेकिन 23 बस स्टेशन का काम पूरा किया जा रहा है. प्रदेश में बस अड्डे एयरपोर्ट की तरह बन रहे हैं.
इस अवसर पर परिवहन आयुक्त चंद्रभूषण सिंह ने कहा कि सड़क सुरक्षा जरूरी विषय है. सड़क सुरक्षा समिति की बैठक मुख्यमंत्री दो बार करते हैं. वाहनों की फिटनेस और ड्राइवर की ट्रेनिंग में खास ध्यान दिया जा रहा है. परिवहन विभाग की सेवाओं को फेसलेस करने का आदेश कर दिया है. 14 सेवाएं ऑनलाइन हो गई हैं. जल्द ही विभाग की सभी सेवाएं ऑनलाइन कर दी जाएंगी. इसके लिए एनआईसी से बातचीत चल रही है. प्राइवेट बसों और ट्रक को लेकर भी पॉलिसी आ रही है. अगले दिसंबर तक प्रदेश में परिवहन विभाग का ढांचा बदला हुआ दिखाई देगा.