लखनऊ:छठ एक ऐसा महापर्व है, जो विश्व भर में मनाया जा रहा है. देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी अब इसे लोग बड़ी ही धूमधाम से मनाते हैं. 36 घंटे का महिलाएं छत पर निर्जला व्रत रखती हैं. नहाए खाए के साथ लोक आस्था के महापर्व छठ के दूसरे दिन महिलाओं ने भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर महाव्रत का संकल्प उठाया. महिलाओं ने बुधवार को छठी मैया का महाव्रत उठा लिया है. गुरुवार शाम घाट किनारे महिलाएं सूर्यास्त को जल चढ़ाएंगी. इस व्रत में वेदी का अलग ही महत्व होता है इसी वेदी पर पूरी पूजा संपन्न की जाती है.
कैंट निवासी रिचा सिंह ने बताया, कि छठ पर्व के दूसरे दिन महिलाएं घरों के छत पर कच्चे चूल्हे पर अरवा चावल, खीर, पूड़ी और ठेकुवा गाने गाते हुए बनाया गया. इन पकवानों को साफ स्थान पर पीतल के बर्तन में बनाया जाता है. इन सभी पकवानों में ठुकवा सबसे प्रमुख होता है. इसे बड़े ही सफाई से बनाया जाता है. यह छठी मैया को भी चढ़ाया जाता है. आज महिलाएं वाराणसी के गंगा घाट पर डूबते हुए सूर्य को आगे देगी और कल उगते हुए सूर्य को आगे देकर अपनी मनोकामना के पूरा होने के लिए छठी मैया की पूजा करेंगी.
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अखिल भारतीय भोजपुरी समाज के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रभुनाथ राय ने बताया, कि बीते 40 सालों से इसी तरह वहां पर छठ मनाया जाता है. यह एक ऐसा पर्व है. जिसमें सभी एक समान होते हैं. इस महापर्व में ढलते सूरज को अर्घ्य दिया जाता है और उगते सूरज को अर्घ्य दिया जाता है. एक ही जगह से हर वर्ग के लोग फिर चाहे वह मंत्री हो, विधायक हो, अधिकारी हो या फिर गरीब वर्ग के लोगों सभी एक साथ सूर्य देव को अर्घ्य देते हैं.