रायपुर: छत्तीसगढ़ की राजनीति में सियासत का बहुत बड़ा बदलाव 15 फरवरी 2025 को भारतीय जनता पार्टी के खाते में आई है. जब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में डबल इंजन की सरकार को नगरीय निकाय चुनाव में तीसरे इंजन के साथ जोड़कर बीजेपी ने छत्तीसगढ़ के 10 नगर निगम पर कब्जा कर लिया. यह बड़ी जीत सियासत की सबसे बड़ी जीत इसलिए भी कहीं जा सकती है कि इन सीटों पर कांग्रेस का कब्जा था. सबसे बड़ी जीत कांग्रेस के खाते में रायपुर नगर निगम की कही जा सकती है, जिसमें 15 साल बाद भाजपा के खाते में मेयर का पद आया है.
कांग्रेस को किया चित: छत्तीसगढ़ में हुए नगर निकाय चुनाव की बात करें तो कांग्रेस लगातार इस पर हमलावर रही थी कि भाजपा नगर निकाय चुनाव में डरी हुई है. कांग्रेस इसके समर्थन में यह तर्क देती थी कि यही वजह है जो बीजेपी समय पर नगर निगम चुनाव को नहीं करवा रही है. यह भी लंबे समय के बाद हुआ जब मेयर और नगर परिषद में अध्यक्ष के कार्यकाल समाप्त हो गए. यहां पर प्रशासक को बैठना पड़ा. यह चीज ज्यादा दूर तक नहीं चली और त्रिस्तरीय निकाय चुनाव के ऐलान को कर दिया गया. उसमें भी कांग्रेस अपने तरीके से सियासत को करती रही , जिसमें लगातार यह कहा जाता रहा कि पहले बैलेट पेपर से चुनाव करने की बात कही गई थी, उसके बाद EVM से कराया गया.
"जनता ने हमारे फेवर में जनमत नहीं दिया": नगरीय निकाय चुनाव के परिणाम आने के बाद कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख सुशील आनंद शुक्ला ने अपनी प्रतिक्रिया जाहिर की. उन्होंने कहा कि हम लोगों ने चुनाव में मेहनत की और जनता के बीच गए, लेकिन जनता ने जो जनमत दिया है वह हम मान करके चल रहे हैं. हमारा वोट परसेंट है, लेकिन जनता ने जो जनमत दिया है वह हमारे फेवर में नहीं आया है ,फिर भी हम जनता की सेवा करते रहेंगे.
कांग्रेस को रिजल्ट पर सोचने की जरूरत: सुशील आनंद शुक्ला ने कांग्रेस की हार पर चाहे जो बयान दिया हो लेकिन बीजेपी की जीत ने निश्चित तौर पर भाजपा को छत्तीसगढ़ में नई मजबूती दी है. यह भी कहा जा सकता है कि बीजेपी का जो मैनेजमेंट नगर निकाय चुनाव का लेकर रहा है वह बहुत मजबूत रहा है. इसके कारण भी भाजपा नगरीय निकाय चुनाव पर कब्जा कर पाई है.हालांकि भाजपा के लिए चुनौतियां भी काम नहीं थी , इस बात को लेकर के कांग्रेस लगातार हमलावर भी रही है की ज़मीनी स्तर पर काम हुआ नहीं है, इसलिए बीजेपी नगर निकाय चुनाव से भाग रही है. जब निकाय चुनाव का परिणाम आया, तो परिणाम में कांग्रेस दूर-दूर तक दिखाई नहीं पड़ी. इस विषय की समीक्षा निश्चित तौर पर कांग्रेस को करनी होगी ,कि आखिर 10 नगर निगम पर जिस पर कांग्रेस का कब्जा था, वहां से पूरी तरह से कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो गया. इस तरह सूपड़ा साफ हो जाना कांग्रेस के लिए नई राजनीतिक जमीन तैयार करने की नई राजनीतिक तैयारी भी कहीं जा सकती है. क्योंकि विधानसभा में खिसका जनाधार नगर निकाय चुनाव में समाप्त हो गया, इस पर कांग्रेस को एक विचार तो करना ही पड़ेगा.
सीएम विष्णुदेव साय ने कांग्रेस पर कसा तंज: निकाय चुनाव में जीत के बाद छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णुदेव साय ने कांग्रेस पर तंज कसा. उन्होंने कहा कि कांग्रेस के पास बताने के लिए कुछ बचा नहीं है ,क्योंकि भ्रष्टाचार की राजनीति से उन्होंने मेयर के पद को रायपुर में खरीदा था और लोकतंत्र का गला घोंटकर जिस तरीके से मेयर बनाया था ,आज स्थिति यह हो गई है कि वह मेयर वार्ड पार्षद तक का चुनाव नहीं जीत पाए.
"कांग्रेस ने लोकतंत्र का गला घोंटा": सीएम साय ने कहा कि लोकतंत्र का गला घोंट करके 5 साल पहले रायपुर को एक ऐसा मेयर दिया गया था जो लोकतांत्रिक मान्यता को पूरा ही नहीं करता था. इस पर आज जनता ने उसका जवाब दे दिया, मामला साफ है की 70 वार्ड पार्षद की नगर निगम रायपुर में है. जिसमें से 60 सीट पर बीजेपी का कब्जा हुआ है, इतनी बड़ी जीत यह बताती है कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चल रही सरकार पर जनता का भरोसा रहा है. हमने जो जनता से वादा किया है उसे हर हाल में पूरा करेंगे. मुख्यमंत्री यही नहीं रुके उन्होंने कहा कि अगर नगर निकायों में भ्रष्टाचार हुआ है तो उस पर भी कार्रवाई की जाएगी उसमें किसी को छोड़ नहीं जाएगा. नगर निकाय के चुनाव निश्चित तौर पर बीजेपी और कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती थी.