अलवर. शहर के रूप बास स्थित रूप हरि मंदिर में बुधवार रात 11:30 बजे पूरे विधि विधान से भगवान जगन्नाथ व माता जानकी का विवाह संपन्न हुआ. वरमाला के दौरान भगवान जगन्नाथ व माता जानकी को 15 वरमाला पहनाई गई, जिसमें सबसे पहले गुलाब व मोगरे के फूलों से बनी वरमाला पहनाई गई. इसके बाद छत्तीसगढ़ से आई वरमाला, चांदी की वरमाला साहित अन्य वरमाला पहनाई गई. इस दौरान पंडित कृष्ण गोपाल शर्मा को ओर से मंत्रोच्चारण किया गया. पूरे भारतवर्ष में अलवर शहर में ही भगवान जगन्नाथ व माता जानकी का विवाह संपन्न किया जाता है, जिसके साक्षी बनने के लिए अलवर जिले से ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों से भी श्रद्धालू पहुंचते हैं.
मंदिर के महंत धर्मेंद्र शर्मा ने बताया कि पौराणिक रिवाजों के साथ भगवान जगन्नाथ जी का विवाह संपन्न हुआ. पूरे लवाजमे के साथ माता जानकी अपने नोहरे से रथ में विराजित होकर मंदिर परिसर पहुंची, जहां सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु वरमाला के साक्षी बनने के लिए आतुर थे. वरमाला महोत्सव में मंदिर के महंत की ओर से सबसे पहले कंपनी बाग से आई 15 फीट की वरमाला पहनाई गई. इसके बाद अन्य वरमाला पहनाकर विवाह को संपन्न कराया गया. वरमाला महोत्सव के दौरान मंदिर परिसर जानकी मैया जय जगदीश के जयकारों से गूंज उठा.
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रूपबास की महिलाओं ने नोहरे में किया कन्यादान :माता जानकी की सावरी के रूप बास पहुंचने के बाद वहां मौजूद महिलाओं व पुरुषों ने सबसे पहले रथ को कलावा बांधा व आरती की. ऐसी परंपरा है कि रूप बास के लोग जानकी को अपनी बेटी मानते हैं. नोहरे में ठहरने के बाद से ही कन्यादान दान का दौर शुरू हो गया, जो रात 9 बजे तक चलता रहा. बड़ी संख्या में महिलाओं व पुरुषों ने कन्यादान किया.