वाराणसी:नतीजे आने में अब कुछ ही समय बचा है. कल यानी मंगलवार 8.30 बजे से ही रुझान आने शुरू हो जाएंगे. इसी के साथ हॉट सीट में शुमार वाराणसी की स्थिति भी साफ हो जाएगी. इस सीट से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुनाव लड़ रहे हैं. इसलिए भी सबकी नजरें इस सीट पर हैं. वाराणसी के चुनावी इतिहास पर नजर डालें तो यह पहले भी हमेशा चर्चा में रही है. इस सीट का प्रतिनिधित्व पूर्व सीएम कमलापति त्रिपाठी, पूर्व पीएम चंद्रशेखर ने भी किया है. इस बार के चुनाव में भी वाराणसी फिर से चर्चा के केंद्र में हैं. आइए नजर डालते हैं, बनारस के अब तक के चुनाव नतीजों और यहां से जीते दिग्गजों पर.
भाजपा ने 7 और कांग्रेस ने 6 बार दर्ज की जीत
वाराणसी सीट पर 1952 से लेकर अब तक भाजपा सात बार जीत दर्ज कर चुकी है. वहीं कांग्रेस 6 बार, जनता दल ने 1 बार, सीपीएम ने 1 बार और भारतीय लोक दल ने भी 1 बार वाराणसी से जीत दर्ज की है. बनारस सीट पर बीजेपी को सबसे मजबूत और प्रबल दावेदार बनाता है. यह इसलिए भी कहा जा रहा है क्योंकि यहां दो बार के विधानसभा चुनावों में 8 की 8 सीटें बीजेपी ने जीती है. लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी का ही जलवा 2009 से कायम है. इतना ही नहीं हाल ही में हुए नगर निकाय चुनाव में बीजेपी के 65% से ज्यादा पार्षद और मेयर ने भी जीत दर्ज की है. पंचायत चुनाव में बीजेपी का क्रेज देखने को मिला है, यानी कुल मिलाकर बनारस की हर सीट पर भाजपा ही काबिज है. इसलिए कहते हैं बनारस भारतीय जनता पार्टी की पूरे देश में सबसे सुरक्षित सीट है.
भाजपा के लिए सुरक्षित क्यों ?
वाराणसी बीजेपी के लिए सुरक्षित क्यों है? इस पर काशी हिंदू विश्वविद्यालय के पॉलिटिकल साइंस के सीनियर प्रोफेसर हेमंत कुमार मालवीय कहते हैं, बनारस सबसे बड़ा धार्मिक शहर माना जाता है. काशी विश्वनाथ मंदिर और ज्ञानवापी का मुद्दा हमेशा चर्चा में रहता है. भारत में धार्मिक दृष्टि से राजनीति का बेहद महत्व माना जाता है. चाहे अयोध्या हो या मथुरा, काशी हो या उज्जैन, यह कुछ ऐसे धार्मिक शहर हैं, जो बीजेपी के एजेंडे में सबसे ऊपर रहते हैं. इन शहरों में होने वाला हर छोटा-छोटा बदलाव बीजेपी को और मजबूत कर रहा है. समय के साथ हो रहे विकास और पुराने शहर का बदल रहा स्वरूप यहां के वोटर्स के साथ बाहर से आने वाले सैलानियों को भी पसंद आ रहा है. यही वजह है कि भारतीय जनता पार्टी अपने वोट प्रतिशत को बढ़ाने के लिए बनारस को सबसे मजबूत किला मानती है.
2019 का मत प्रतिशत