लखनऊ : यूपी में 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद कांग्रेस की स्थिति विधानसभा और लोकसभा चुनाव में लगातार बद से बस्तर होती जा रही थी. जहां 2009 में कांग्रेस ने अपने यूपी की 80 लोकसभा सीटों में से 21 सीटें जीती थीं, वहीं 2022 के विधानसभा चुनाव आने तक कांग्रेस पार्टी एक सांसद और दो विधायकों तक पहुंच गई. यहां तक की कांग्रेस का उत्तर प्रदेश में कुल वोट शेयर सवा दो परसेंट के आसपास आ गया. वहीं, उत्तर प्रदेश के राजनीतिक इतिहास में पार्टी को पहली बार विधान परिषद से भी बाहर होना पड़ा.
अमेठी और रायबरेली में भी दिखाया दम (फोटो क्रेडिट : ETV bharat) 2019 लोकसभा चुनाव में पार्टी के दो सांसद जीतकर आए जबकि, उससे पहले 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में पार्टी को 19 विधायक रह गए थे. इसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने पद से इस्तीफा देते हुए उत्तर प्रदेश की कमान अपनी बहन प्रियंका गांधी को सौंपी थी. 2022 विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 'लड़की हूं लड़ सकती हूं' के नारे के साथ अपनी उपस्थिति तो दर्ज कराई लेकिन, रिजल्ट बहुत ही निराशाजनक था. जिसके बाद लोगों ने उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को पूरी तरह से खत्म मान लिया था. अब 2024 के लोकसभा चुनाव में पार्टी दो विधायकों के साथ 80 सीटों में से 6 पर कब्जा करने में कामयाब रही है. पार्टी के वरिष्ठ नेता राहुल गांधी की 'भारत जोड़ो न्याय यात्रा' के बाद यूपी के सियासी माहौल में आए बदलाव को इसका मुख्य कारण बता रहे हैं.
यूपी में कांग्रेस की बदली सूरत (फोटो क्रेडिट : ETV bharat) उत्तर प्रदेश कांग्रेस ने 2022 के विधानसभा चुनाव में मिली अप्रत्याशित हार के बाद ही अपने प्रदर्शन को सुधारने के लिए कवायद शुरू कर दी थी. पार्टी ने 2022 में तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू को हटाकर पूर्व सांसद बृजलाल खाबरी को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी थी और इन्हीं की अगुवाई में पार्टी ने नगर निकाय का चुनाव लड़ा था. जिसमें पार्टी के वोट प्रतिशत में सुधार देखने को मिला था. बृजलाल खाबरी के 11 महीने के कार्यकाल के बाद उन्हें हटाकर पार्टी ने अजय राय को प्रदेश का नया मुखिया बना दिया और चुनाव से पहले प्रियंका गांधी की राष्ट्रीय राजनीति में व्यवस्था होने के बाद राष्ट्रीय महासचिव अविनाश पांडे को उत्तर प्रदेश की जिम्मेदारी सौंप दी. ऐसे में अजय राय और अविनाश पांडे की जोड़ी ने चुनाव के दौरान यूपी के कामकाज को संभाला और पार्टी के संगठन पर ढांचे को काफी हद तक सही किया. साथ ही प्रदेश कमेटी के साथ यूपी में काम शुरू कर दिया. इंडिया स्तर पर बने इंडिया गठबंधन में समाजवादी पार्टी के शामिल होने की वजह से यूपी में सपा के साथ सीटों के बंटवारे की चुनौती को अविनाश पांडे ने प्रियंका गांधी और राहुल गांधी के सहयोग से दूर किया. उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से 17 सीटों पर समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ने की सहमति पार्टी केंद्रीय कमेटी ने दे दी.
लखनऊ स्थित कांग्रेस कार्यालय में जीत के बाद जश्न मनाते कार्यकर्ता (फोटो क्रेडिट : ETV bharat)
17 सीटों पर अपनी पूरी रणनीति के साथ किया काम :पार्टी के सोशल मीडिया विभाग के अध्यक्ष और प्रदेश प्रवक्ता डा. सीपी राय ने बताया कि समाजवादी पार्टी के साथ गठबंधन होने के बाद हमने अपनी 17 लोकसभा सीटों के साथ 63 सीटों पर एक साथ संबंध बनाने के लिए बूथ स्तर तक कार्यकर्ताओं के साथ बैठकर काम किया. जहां प्रदेश के प्रभारी व राष्ट्रीय महासचिव अविनाश पांडे ने न केवल कांग्रेस पार्टी की सभी सीटों पर तालमेल बैठाने के लिए बैठकें की, बल्कि उन्होंने सभी 80 लोकसभा सीटों पर कैंपिंग करने के साथ दोनों पार्टियों के साथ समन्वय बैठाने का भी काम किया. इसके अलावा दोनों पार्टियों ने संयुक्त सभा के लिए कारगर रणनीति बनाई. दोनों पार्टियों के बड़े नेताओं को गठबंधन के सहयोगियों के हर सीट पर बेहतर तालमेल के साथ रोड शो और सभाएं आयोजित की गईं, जिसका नतीजा रहा कि कांग्रेस पार्टी एक सीट से बढ़कर 6 सीटों तक पहुंच गई.
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