पटनाःयाद कीजिए 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव के नतीजे का दिन जब पोस्टल बैलट यानी सर्विस वोट की गिनती के बाद बीजेपी के ऑफिस में खुशी छा गयी थी लेकिन ईवीएम खुलते ही स्थिति बदल गई और बीजेपी नेताओं-कार्यकर्ताओं की खुशियां काफूर हो गयीं. अंतिम परिणाम आया तो महागठबंधन ने भारी बहुमत से जीत दर्ज की. मतलब साफ है नतीजों में पोस्टल बैलट की कोई बड़ी भूमिका नहीं है, लेकिन पोस्टल बैलट को लेकर बिहार में पॉलिटिकल बैटल शुरू हो गयी है.
आरजेडी का आरोप 2020 में हुई धांधलीः 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए को जब बहुमत मिला तब आरजेडी ने आरोप लगाया गया कि "सर्विस वोटर यानी पोस्टल बैलेट की गिनती सत्ता पक्ष ने अपने फायदे के लिए की. आरजेडी का आरोप था कि पोस्टल बैलट की गिनती ईवीएम की गिनती के बाद की गई और इसके जरिए महागठबंधन के उम्मीदवारों का हरवाया गया."
चुनाव आयोग से आरजेडी की मांगः2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर आरजेडी ने चुनाव आयोग से मांग की है कि नतीजों की निष्पक्षता के लिए ईवीएम की गिनती से पहले ही पोस्टल बैलट की गिनती हो. आरजेडी प्रवक्ता एजाज अहमद का कहना है कि "2020 विधानसभा चुनाव में पोस्टल की गिनती बाद में की गई थी जबकि उससे पहले जब भी मतगणना हुई है पोस्टल बैलेट की गिनती पहले हुई है."
'पहले या बाद में, क्या फर्क पड़ता है ?':वहीं आरजेडी के आरोप पर बीजेपी प्रवक्ता रामसागर सिंह का कहना है कि "सर्विस वोट की गिनती पहले हो या बाद में उससे क्या फर्क पड़ता है. लगातार हारने के कारण विपक्ष को रोने की आदत हो गयी है और इस बार भी आरजेडी को हार का डर सता रहा है इसलिए आरजेडी इस तरह की मांग कर रहा है."