भरतपुर.देश में 18वीं लोकसभा के चुनावों की तैयारियां जोरों पर हैं. सभी राजनीतिक पार्टियां जीत दर्ज करने के लिए पसीना बहा रहीं हैं. वहीं, लोकसभा चुनाव से ठीक पहले राजनीतिक पार्टियों ने एक बार फिर ईवीएम पर सवाल खड़े करना शुरू कर दिए हैं. अपने 42 साल के सफर में 152 चुनाव सफलतापूर्वक करा चुकी ईवीएम को लेकर महाराष्ट्र के राज्यसभा सदस्य सांसद संजय राऊत ने बयान दिया है. उन्होंने ईवीएम के बजाय बैलेट पेपर से चुनाव कराने की मांग की है. वहीं, चुनाव आयोग ईवीएम को लेकर काफी सख्त है. यही वजह है कि मतदान से पहले ईवीएम मशीन की करीब 6 बार 'अग्निपरीक्षा' यानी विविधस्तरीय जांच की जाती है. खरा उतरने पर ही ईवीएम को मतदान के लिए इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन वर्ष 2019 के लोकसभा चुनावों के आंकड़ों पर नजर डालें तो पूरे प्रदेश में मतदान के दिन कुल 258 ईवीएम और 1326 वीवीपैट खराब हुईं.
इन 6 जांचों से गुजरती है ईवीएम:जिला निर्वाचन अधिकारी डॉ. अमित यादव ने बताया कि मतदान से पहले ईवीएम मशीनों की कई स्तर पर जांच की जाती है. सबसे पहले ईवीएम मशीन का फर्स्ट लेवल चेकअप (एफएलसी) किया जाता है. इस दौरान खराब पाई गई ईवीएम मशीनों की सूची तैयार की जाती है और उन्हें अलग किया जाता है. दूसरे स्तर की जांच में ईवीएम मशीन में डमी कैंडिडेट के सिंबल लोड किए जाते हैं और प्रत्येक कैंडिडेट के बटन को 6-6 बार दबा कर देखा जाता है. इसके बाद ईवीएम से मॉकपोल किया जाता है. इसके बाद दो अलग-अलग स्तर के रेंडमाइजेशन किए जाते हैं. इस दौरान पांच-पांच फीसदी ईवीएम मशीनों को बीच में से निकालकर सभी में एक-एक हजार वोट डाले जाते हैं और उनका वीवीपैट मशीनों की पर्चियों से मिलान किया जाता है. इस प्रक्रिया के दौरान प्रत्याशियों के प्रतिनिधि भी मौजूद रहते हैं. आखिरी जांच पोलिंग बूथ पर मतदान से पहले प्रत्याशी या उसके एजेंट से एक-एक वोट डलवाया जाता है. सही पाए जाने पर सभी के सामने उस वोट को डिलीट किया जाता है और उसके बाद मतदान शुरू कराया जाता है.