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अपराध के खिलाफ लड़ाई लड़ रही महिलाओं की टोली, पंचायत में किया जाता है समाधान - solution to crime against women - SOLUTION TO CRIME AGAINST WOMEN

Livelihood Justice Advice Center. झारखंड लाइवलीहुड प्रमोशनल सोसाइटी ने राज्य भर में आजीविका न्याय सलाह केंद्र की स्थापना की है, जो पंचायत स्तर पर कार्य कर रही है. इस टोली में कानूनी जानकार के साथ-साथ कई सदस्य शामिल हैं. जहां कई अपराध सुलाझाने का काम किया जाता है.

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न्याय सलाह केंद्र में काम करती महिला (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Aug 27, 2024, 6:08 PM IST

पलामू:महिलाओं की एक ऐसी टोली जो अपराध और घरेलू हिंसा के खिलाफ लड़ाई लड़ रही है. महिलाओं की यह टोली कानूनी मदद के साथ-साथ महिला अत्याचार के खिलाफ लड़ाई लड़ रही है. घरेलू विवाद जैसी समस्या को पंचायत में ही समाधान किया जा रहा है. जबकि संगीन मामलों में पीड़ता को थानों तक पहुंचाने का काम किया जा रहा है. झारखंड लाइवलीहुड प्रमोशनल सोसाइटी ने राज्य भर में आजीविका न्याय सलाह केंद्र की स्थापना की है, जो पंचायत स्तर पर कार्य कर रही है. इस टोली में कानूनी जानकार के साथ-साथ कई सदस्य शामिल है. यह टोली महिलाओं से जुड़े, घरेलू हिंसा समेत अन्य अपराध के बारे में जागरूक करती है और पंचायत के माध्यम से उसे सुलझाने का काम करती है.

संवाददाता नीरज कुमार की रिपोर्ट (ETV BHARAT)

पंचायत में डायन प्रताड़ना और घरेलू हिंसा का समाधान

झारखंड के नक्सल हीट पलामू में पहले चरण में चार आजीविका न्याय सलाह केंद्र की स्थापना की गई है. पलामू के चैनपुर थाना क्षेत्र के बूढ़ीबीर में महिलाओं की टोली ने न्याय सलाह केंद्र बनाया. जहां पिछले एक वर्ष में बूढ़ीबीर न्याय सलाह केंद्र में 65 मामले पहुंचे. जिनमें से 61 मामलों का समाधान कर लिया गया है. जबकि एक मामला पुलिस को रेफर किया गया है. वहीं, अन्य मामलों में सुनवाई जारी है. न्याय सलाह केंद्र के बीआरपी अर्चना कुमारी बताती हैं कि उनके पास घरेलू हिंसा, डायन प्रताड़ना जैसे मामले पहुंचते हैं. वैसे मामले जो पंचायत के माध्यम से सुलझाया जा सकता है, उसपर पहल की जाती है. लेकिन जिन मामलों में कानूनी कार्रवाई की जरूरत होती है उन मामलों में पीड़िता को पुलिस और कानूनी सहायता उपलब्ध करायी जाती है.

कैसे काम करती है महिलाओं की टोली

दरअसल, झारखंड लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी ने क्लस्टर लेवल फेडरेशन (सीएलएफ) का गठन किया है. एक सीएलएफ में 250 से 300 तक महिलाओं का एक समूह होता है और एक समूह में 15 से 25 महिलाएं होती है. प्रत्येक समूह में एक-एक बदलाव दीदी का चयन किया जाता है, जो प्रत्येक बैठक में महिलाओं की समस्याओं को सुनती है और बाद में इस समस्या को आजीविका न्याय सलाह केंद्र के पास रखा जाता है. आजीविका समिति मामले को रजिस्टर्ड करती है और कानूनी पहलुओं को देखती है. पीड़ित महिला बदलाव दीदी या खुद से न्याय समिति के पास पहुंच सकती है.

हिंसा का च्रक (ETV BHARAT)

पीड़िता का किया जाता मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग

आजीविका नया सलाह केंद्र से जुड़ी अनिता देवी बताती हैं कि पीड़ित महिला का पहला मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग किया जाता है. अगर मामला पंचायत के माध्यम से समाधान किया जा सकता है तो उस दिशा में पहल किया जाता है. पंचायत में मुखिया एवं अन्य प्रतिनिधि भी शामिल होते है. उन्होंने बताया कि पीड़िता बदलाव दीदी के माध्यम से पहुंचती है या खुद केंद्र के पास पहुंचती है. इधर, पलामू के एसपी रीष्मा रमेशन का कहना है कि जेएसएलपीएस की पहुंच गांव-गांव तक है. महिलाएं पुलिस की सहायता भी कर सकती है. लेकिन यह देखना होगा कि ऐसे मामले सीधे पुलिस के पास पहुंची है या नहीं. वहीं, गंभीर अपराध, डायन, बिसाही मारपीट के मामले पर पुलिस संज्ञान लेती है और कार्रवाई भी करती है. वहीं, पलामू के जेएसएलपीएस, डीपीएम शांति मार्डी का कहना है कि पंचायत में महिलाओं को कानूनी जानकारी उपलब्ध करवाई जा रही है और उन्हें जागरूक भी किया जा रहा है. उनके समस्याओं का समाधान भी हो रहा है.

घरेलू हिंसा से निबटना बड़ी चुनौती

झारखंड में घरेलू हिंसा और महिला अपराध से निबटना एक बड़ी चुनौती है. राज्य के कई इलाके अंधविश्वास से जूझ रहा है. झारखंड में 2018 से 2023 तक 14162 दुष्कर्म के मामले को रिकॉर्ड किया गया था. राज्य के विभिन्न महिला थाना में प्रतिदिन चार से पांच मामले घरेलू हिंसा से जुड़े हुए पहुंचते हैं. राज्य में प्रतिवर्ष करीब 35 हत्याएं अंधविश्वास में होती है. पलामू के इलाके में घरेलू हिंसा के आंकड़े प्रतिवर्ष 1200 सबसे अधिक रिकॉर्ड किया जाता है. पलामू में 2023 के बाद से 115 से अधिक दुष्कर्म की घटनाओं को रिकॉर्ड किया गया है.

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