पलामू:महिलाओं की एक ऐसी टोली जो अपराध और घरेलू हिंसा के खिलाफ लड़ाई लड़ रही है. महिलाओं की यह टोली कानूनी मदद के साथ-साथ महिला अत्याचार के खिलाफ लड़ाई लड़ रही है. घरेलू विवाद जैसी समस्या को पंचायत में ही समाधान किया जा रहा है. जबकि संगीन मामलों में पीड़ता को थानों तक पहुंचाने का काम किया जा रहा है. झारखंड लाइवलीहुड प्रमोशनल सोसाइटी ने राज्य भर में आजीविका न्याय सलाह केंद्र की स्थापना की है, जो पंचायत स्तर पर कार्य कर रही है. इस टोली में कानूनी जानकार के साथ-साथ कई सदस्य शामिल है. यह टोली महिलाओं से जुड़े, घरेलू हिंसा समेत अन्य अपराध के बारे में जागरूक करती है और पंचायत के माध्यम से उसे सुलझाने का काम करती है.
पंचायत में डायन प्रताड़ना और घरेलू हिंसा का समाधान
झारखंड के नक्सल हीट पलामू में पहले चरण में चार आजीविका न्याय सलाह केंद्र की स्थापना की गई है. पलामू के चैनपुर थाना क्षेत्र के बूढ़ीबीर में महिलाओं की टोली ने न्याय सलाह केंद्र बनाया. जहां पिछले एक वर्ष में बूढ़ीबीर न्याय सलाह केंद्र में 65 मामले पहुंचे. जिनमें से 61 मामलों का समाधान कर लिया गया है. जबकि एक मामला पुलिस को रेफर किया गया है. वहीं, अन्य मामलों में सुनवाई जारी है. न्याय सलाह केंद्र के बीआरपी अर्चना कुमारी बताती हैं कि उनके पास घरेलू हिंसा, डायन प्रताड़ना जैसे मामले पहुंचते हैं. वैसे मामले जो पंचायत के माध्यम से सुलझाया जा सकता है, उसपर पहल की जाती है. लेकिन जिन मामलों में कानूनी कार्रवाई की जरूरत होती है उन मामलों में पीड़िता को पुलिस और कानूनी सहायता उपलब्ध करायी जाती है.
कैसे काम करती है महिलाओं की टोली
दरअसल, झारखंड लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी ने क्लस्टर लेवल फेडरेशन (सीएलएफ) का गठन किया है. एक सीएलएफ में 250 से 300 तक महिलाओं का एक समूह होता है और एक समूह में 15 से 25 महिलाएं होती है. प्रत्येक समूह में एक-एक बदलाव दीदी का चयन किया जाता है, जो प्रत्येक बैठक में महिलाओं की समस्याओं को सुनती है और बाद में इस समस्या को आजीविका न्याय सलाह केंद्र के पास रखा जाता है. आजीविका समिति मामले को रजिस्टर्ड करती है और कानूनी पहलुओं को देखती है. पीड़ित महिला बदलाव दीदी या खुद से न्याय समिति के पास पहुंच सकती है.