देहरादून:उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में 144 वर्ष बाद चल रहे महाकुंभ मेले में देश-विदेश से श्रद्धालु संगम तट पर आस्था की डुबकी लगाने के लिए पहुंच रहे हैं. मौनी अमावस्या के पावन पर्व पर भी संगम में शाही स्नान करने के लिए करोड़ों श्रद्धालु महाकुंभ पहुंचे. इसी बीच आधी रात को भगदड़ मच गई. भगदड़ में कई श्रद्धालुओं की जान चली गई, जबकि कई श्रद्धालु घायल हैं. इस दर्दनाक हादसे ने उत्तराखंड में बीते कुछ सालों में हुईं घटनाओं की याद ताजा कर दी है. दरअसल, हरिद्वार में लगने वाले कुंभ में कई बार इस तरह की घटनाएं हुई हैं, जिनमें सैकड़ों श्रद्धालुओं की जान जा चुकी है.
सालों से कई कुंभ व धार्मिक आयोजनों को कवर करने वाले लेखक और जानकर आदेश त्यागी ने बताया कि कुंभ की शुरुआत संतों के झगड़ों से होती थी. हर अखाड़ा पहले स्नान करना चाहता था. यही वजह है कि कुंभ मेले में स्नान क्रम को लेकर खून की कई होलियां खेली गईं. समय गुजरता गया और अखाड़ा परिषद के गठन के बाद अखाड़ों का संघर्ष तो खत्म हो गया, लेकिन कुंभ में होने वाली भगदड़ से सैकड़ों लोगों की जान चली गई.हरिद्वार में लगने वाले कुंभ मेले के इतिहास पर नजर डालें, तो लगभग सभी कुंभ किसी ना किसी हादसे की गवाही दे रहे हैं. आदेश त्यागीबताते हैं कि, प्रशासन बीते कई सालों से इस ओर ध्यान दे रहा है कि भीड़ नियंत्रित कैसे हो और संतों के साथ-साथ आम जनता को अलग-अलग मार्गों से डायवर्ट कैसे किया जाए.
कुंभ में साल 1912 से 2011 तक इतने लोगों ने गंवाई जान-
- साल 1912 में हरिद्वार कुंभ में भगदड़ होने से 7 लोगों की मौत हुई थी.
- साल 1954 में प्रयागराज कुंभ में भगदड़ होने से 800 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 200 लोग घायल हुए थे.
- साल 1966 में हरिद्वार कुंभ में सोमवती स्नान पर भगदड़ होने से 12 लोगों की मौत हुई थी.
- साल 1986 में हरिद्वार कुंभ में भगदड़ होने से 52 लोगों की मौत हुई थी.
- साल 1996 में हरिद्वार कुंभ में सोमवती स्नान पर भगदड़ होने से 22 लोगों की मौत हुई थी.
- साल 2010 में हरिद्वार कुंभ में भगदड़ होने से 7 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 11 लोग घायल हुए थे.
- साल 2011 में हरिद्वार गायत्री कुंभ में भगदड़ होने से 20 लोगों की मौत हुई थी.
प्रशासन का पूरा ध्यान अखाड़ों के शाही स्नान पर:लेखक आदेश त्यागी ने बताया कि प्रशासन का पूरा ध्यान अखाड़ों के शाही स्नान और VIP की व्यवस्थाओं पर होता है. कुंभ में आस्था की डुबकी लगाने के लिए आ रही भीड़ को नियंत्रित करने के लिए साल 2010 तक के कुंभ से भी कोई सबक नहीं लिया गया था, जिसके कारण साल 2011 में भी भगदड़ मच गई थी.