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कभी झारखंड के थे इनामी नक्सली, ऑपरेशन नई दिशा ने दिखाई राह, अब परिवार संग जी रहे सुकून की जिंदगी - LIFE OF REWARDED NAXALITE

ऑपरेशन नई दिशा से प्रभावित होकर एक इनामी नक्सली ने सरेंडर किया था. खबर में जानिए सरेंडर करने के बाद कैसे बदली उसकी जिंदगी.

Former Naxalite Tilak Man Sahu
माओवादी संगठन के पूर्व सब जोनल कमांडर तिलक मैन साहू . (फाइल फोटो-ईटीवी भारत)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Feb 7, 2025, 6:47 PM IST

गुमलाःएक ऐसा भी समय था जब गुमला में भाकपा माओवादियों का जंगल राज चलता था और नक्सलियों की तूती बोलती थी. खौफ इतना था कि नक्सलियों की इजाजत के बगैर एक पत्ता भी नहीं हिलता था और जंगलों से कोई एक तिनका भी नहीं उठा सकता था. उनके मात्र एक इशारे पर बंदी के नाम पर दुकानों की शटर गिरा दी जाती थी. साथ ही वाहनों के पहिए थम जाते थे. प्रशासन और पुलिस के लिए माओवादी चुनौती साबित होते थे. इस बीच नक्सलियों की आत्मसमर्पण नीति ऑपरेशन नई दिशा चलाई गई. जिसके परिणामस्वरूप घोर नक्सल नक्सल प्रभावित जिला गुमला अब नक्सल मुक्त की ओर अग्रसर है.

माओवादी बुधेस्वर उरांव, लाजिम अंसारी, सिल्वेस्टर, यतिन जी जैसे शीर्ष नेता मारे गए और रनथु उरांव, बीरबल जैसे कई नक्सलियों ने आत्मसमर्पण कर दिया. इनमें से एक तिलक मैन साहू भी हैं, जिन्होंने सरकार की आत्मसमर्पण नीति का लाभ उठाया.

पूर्व नक्सली तिलक मैन साहू से बात करते ईटीवी भारत संवाददाता हेमंत कुमार (वीडियो-ईटीवी भारत)

नक्सली बनने से लेकर सरेंडर तक की कहानी

माओवादी संगठन के पूर्व सब जोनल कमांडर और 5 लाख के इनामी नक्सली तिलक मैन साहू उर्फ दीपक ने माओवादी संगठन में जुड़ने से लेकर आत्मसमर्पण तक की दास्ता बयां की है. तिलक मैन साहू का कभी झारखंड के गुमला, सिमडेगा और लोहरदगा में खौफ था. तिलक मैन साहू ने बताया वर्ष 2002 में भाकपा माओवादी संगठन से जुड़े ओर वर्ष 2016 में आत्मसमर्पण कर दिया.

कई नक्सल कांडों में शामिल था तिलक मैन

तिलक मैन 14 वर्षों तक भाकपा माओवादी संगठन से जुड़े रहे. इस दौरान पालकोट थाना क्षेत्र में शांति सेना के प्रमुख भादो सिंह सहित आठ लोगों को गोलियों से भून डालने, वाहनों को जलाने के अलावा पूर्व जोनल कमांडर मंगल सिंह नगेसिया हत्याकांड में उनका नाम आया था. साथ ही पुलिस के साथ कई बार उनकी मुठभेड़ भी हुई थी. उन्होंने बताया कि करोड़ों रुपये के इनामी भाकपा माओवादी के शीर्ष नेता प्रशांत जी, किशन जी आदि के भी संपर्क में रहे थे. उस दौरान संगठन में हमेशा मौत के साए में जी रहे थे.

आत्मसमर्पण के बाद बदल गई जिंदगी

उन्होंने कहा कि आत्मसमर्पण करने के बाद अब परिवार संग शांति से जीवन-यापन कर रहे हैं. हालांकि नई दिशा के तहत सरकार ने जो सुविधाएं मुहैया कराने का वादा किया था उसमें कुछ सुविधाएं मिली हैं और कई अभी भी शेष रह गए हैं. उन्होंने सरकार से वादे के अनुरूप सभी सुविधाएं मुहैया कराने की मांग की है. उन्होंने अन्य युवाओं और नक्सलियों को संदेश दिया है कि मुख्यधारा से जुड़कर सरकार की आत्मसमर्पण नीति का लाभ उठाएं.

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