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तितलियों का जीवन चक्र, जानिए प्रकृति के लिए क्यों हैं जरुरी

हमारे देश में कई तरह की तितलियों की प्रजातियां पाई जाती हैं.ईटीवी भारत ने जानने की कोशिश की तितलियां प्रकृति के लिए कितनी जरुरी हैं.

life cycle of butterflies
तितलियों का पूरा जीवन चक्र (ETV Bharat Chhattisgarh)

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : 4 hours ago

Updated : 3 hours ago

बलौदाबाजार :बारिश के मौसम के बाद सर्दियों का मौसम आता है. लेकिन पूरी तरह से सर्दी का मौसम शुरु होने से पहले रंग बिरंगी तितलियां वातावरण की रंगत को खुशनुमा बना देती हैं. आज की भागम भाग भरी जिंदगी में किसी को इन तितलियों की सुध लेने की फुर्सत नहीं है. तितलियां हमारी प्रकृति के लिए कितनी जरुरी हैं,इस बारे में ईटीवी भारत ने जानने की कोशिश की. तितली का जीवन चक्र कैसे चलता है,इसके बारे में विशेषज्ञ गौरव निहलानी ने ईटीवी भारत को विस्तार से बताया.

प्रकृति के लिए क्यों हैं जरुरी : विशेषज्ञ गौरव निहलानी ने बटरफ्लाई ऑफ बारनवापारा वाइल्ड लाइफ सैंक्चुअरी के नाम से बुक भी लिखी हैं. जिसमें 130 तितलियों के रिकॉर्ड हैं. तितलियों के स्पेसिफिक रिकॉर्ड हैं. इस बाद एक और बुक पब्लिश हुई. जिसमें कॉमन रेड आईस मतलब 131 ऑन पेपर रिकॉर्ड में तितलियां दर्ज हुईं हैं. विशेषज्ञ गौरव निहलानी ने ETV भारत को बताया कि तितलियों का जीवन चक्र प्रकृति का एक शानदार चमत्कार है. जो चार चरणों में विभाजित होता है: अंडा, कैटरपिलर (लार्वा), प्यूपा (कोष) और व्यस्क तितली. प्रत्येक चरण में तितली की संरचना, आहार, और जीवन शैली में कई परिवर्तन होते हैं. आइए समझते हैं कि तितली का जीवन चक्र कैसे एक अद्वितीय जैविक प्रक्रिया के माध्यम से विकास करता है.

तितलियों के जीवन चक्र के बारे में जानिए (ETV Bharat Chhattisgarh)
तितली के जीवन चक्र के चार चरण :तितली का जीवन चक्र अंडा देने से शुरू होता है. मादा तितली अपने अंडों को पत्तियों के नीचे सुरक्षित स्थानों पर रखती है. प्रत्येक अंडा बहुत छोटा होता है. इसकी संरचना प्रकार की तितली के अनुसार बदलती रहती है. आमतौर पर, तितलियों के अंडे 3-5 दिनों में फूटते हैं और कैटरपिलर के रूप में बदल जाते हैं.

दूसरे स्टेज में कैटरपिलर : अंडे से बाहर निकलते ही तितली का लार्वा, जिसे कैटरपिलर भी कहा जाता है, सबसे पहले अपने अंडे के खोल को खाता है. इसके बाद यह पत्तियों को खाकर तेजी से वृद्धि करता है. इस चरण में कैटरपिलर का मुख्य उद्देश्य भोजन करना होता है ताकि यह जल्दी से बड़ा हो सके. इसके बढ़ने की दर इतनी तेज होती है कि यह अपनी त्वचा को कई बार बदलता है, जिसे मोल्टिंग कहा जाता है.

तीसरे स्टेज में प्यूपा : जब कैटरपिलर पर्याप्त बढ़ जाता है, तो वह प्यूपा अवस्था में प्रवेश करता है. इस चरण में यह एक कोष (क्रिसलिस) बनाता है.इसके अंदर एक संरक्षित आवरण में रहकर अपने शरीर की संरचना में बदलाव करता है. प्यूपा अवस्था में तितली का रूपांतरण होता है, जिसमें इसके पंख, शरीर और पैर विकसित होते हैं.यह चरण कुछ दिनों से लेकर कुछ महीनों तक चल सकता है, जो तितली की प्रजाति पर निर्भर करता है.

चौथे स्टेज में व्यस्क तितली : प्यूपा चरण के पूरा होने के बाद एक सुंदर वयस्क तितली कोष से बाहर निकलती है. यह अपने पंखों को फैलाकर हवा में उड़ने के लिए तैयार होती है. शुरुआत में इसके पंख नम और कमजोर होते हैं, लेकिन कुछ समय बाद वे पूरी तरह फैल जाते हैं और तितली अपनी उड़ान के लिए तैयार हो जाती है. व्यस्क तितली का मुख्य उद्देश्य प्रजनन करना और जीवन चक्र को आगे बढ़ाना होता है.



जीवन चक्र की जैविक महत्ता :तितली का जीवन चक्र प्रकृति की अनोखी जैविक प्रक्रिया का उदाहरण है, जो पर्यावरणीय संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.कैटरपिलर पत्तियों को खाकर पौधों की छंटाई में योगदान देता है, जबकि वयस्क तितली परागण में सहायक होती है, जिससे वनस्पतियों का प्रजनन संभव हो पाता है.बटरफ्लाई का जीवन चक्र जीवन के रहस्यों को उजागर करने वाली एक जटिल प्रक्रिया है. अंडे से लेकर व्यस्क तितली बनने तक, हर चरण हमें इस जीव की अनोखी विकास यात्रा के बारे में जानकारी देता है. यह जीवन चक्र हमें प्रकृति के चमत्कारों और हमारे पर्यावरण के संरक्षण की महत्ता की याद दिलाता है.

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