कोरबा: छत्तीसगढ़ के कोरबा शहर में बुधवारी बाईपास पूर्वांचल भवन में आयोजित इस दंगल में छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश सहित यूपी, हरियाणा और अन्य स्थानों से भी पहलवानों ने हिस्सा लिया. करीब 60 से 70 पहलवान दंगल में शामिल होने पहुंचे थे. खास बात यह रही कि पुरुष के साथ महिला पहलवानों ने भी इस आयोजन में शिरकत की.
मकर संक्रांति पर पूरे दिन दंगल का दौर चला. पहलवानों ने दंगल में दांव पेंच लगाये और विपक्षी को धूल चटाई. कुछ पहलवान को जीत मिली तो कुछ हार कर भी लोगों का दिल जीत गए. पहलवानों ने एक स्वर में कहा कि कुश्ती की इस पारंपरिक विद्या को बचाने के लिए अच्छे कोच की जरूरत है. हरियाणा जैसे राज्यों में तो बढ़-चढ़कर नए बच्चे भी इस खेल में आ रहे हैं.
हरियाणा की तरह छत्तीसगढ़ को अच्छे कोच की जरूरत : 10 नेशनल मेडल जीत चुके छत्तीसगढ़ के पहलवान अभिषेक दुबे का कहना है कि कुश्ती का खेल काफी कठिन है. रूटिन भी उतना ही कठिन होता है.
पहलवानों को तैयार करना है, तो अच्छे कोच की जरूरत है. जब तक अच्छे कोच नहीं होंगे, तब तक अच्छे पहलवान तैयार नहीं होंगे-अभिषेक दुबे, पहलवान, छत्तीसगढ़
बनारस से आए पहलवान प्रवीण कुमार यादव का कहना है कि यूपी में कुश्ती का माहौल काफी बढ़िया है. मैंने तीन से चार नेशनल मेडल जीते हैं. नए बच्चे जो इस खेल में आ रहे हैं, उन्हें चाहिए कि वह बेहतर तैयारी करें और अच्छे से प्रेक्टिस करें.
हम सुबह 4 बजे उठते हैं, फिर दौड़ लगाने के बाद एक्सरसाइज कर प्रेक्टिस करते हैं. अच्छी डाइट लेते हैं, आराम करने के बाद फिर से शाम को प्रैक्टिस करते हैं-प्रवीण कुमार यादव, पहलवान, बनारस
हर राज्य को पहलवानों को नौकरी देने की जरूर : हरियाणा के संदीप पहलवानी करने कोरबा पहुंचे थे. उन्होंने यहां के दंगल की तारीफ की और कहा कि कोरबा में काफी अच्छा इंतजाम किया गया है. संदीप ने यह भी कहा की कुश्ती के खेल को लेकर जागरूकता आई है. नए बच्चे काफी अच्छी तादात में अब इस खेल में आ रहे हैं. बस नए बच्चों को यही ध्यान में रखना चाहिए कि वह क्वालिटी प्रेक्टिस करें.
कुश्ती के खेल में करंट वेट का काफी महत्व होता है. जिस वेट कैटेगरी में कुश्ती खेली जा रही है. अगर पहलवान का वजन 10 ग्राम भी अधिक हुआ तो उसे डिसक्वालीफाई किया जा सकता है-संदीप, पहलवान, हरियाणा
पारंपरिक खेलों को बढ़ावा देने का प्रयास: पूर्वांचल विकास समिति के सचिव वेद प्रकाश यादव ने कहा कि पूर्वांचल समिति का यह प्रयास है कि कुश्ती जैसे पारंपरिक खेलों को फिर से एक अच्छा अवसर प्रदान किया जाए. उन्होंने यह भी बताया कि पूर्वांचल समिति सामाजिक सरोकार वाली संस्था है. पारंपरिक खेल जब बच्चे खेलते हैं, तो हमारी संस्कृति का भी विस्तार होता है. यही प्रयास है कि इस तरह के खेलों को अधिक से अधिक बढ़ावा दिया जाए. कोरबा में कुश्ती का दंगल बेहद अच्छे से संचालित हुआ. पुरुष के साथ महिला पहलवानों ने भी आज अपने खेल का जलवा बिखेरा.