लखनऊ: 74 साल पहले स्थापित किए गए एएमसी सेंटर एवं कॉलेज की कमान संभालने वाली पहली महिला कमांडेंट और ओआईसी रिकॉर्ड्स व एएमसी की कर्नल कमांडेंट, लेफ्टिनेंट जनरल कविता सहाय, एसएम, वीएसएम को रक्षा मंत्रालय, नौसेना, नई दिल्ली के एकीकृत मुख्यालय में महानिदेशक चिकित्सा सेवा (नौसेना) के रूप में नई नियुक्ति दी गई है.
सशस्त्र बल मेडिकल कॉलेज पुणे की पूर्व छात्र रहीं लेफ्टिनेंट जनरल कविता सहाय को 30 दिसंबर 1986 को आर्मी मेडिकल कोर में कमीशन किया गया था. उन्होंने एफएमसी पुणे से 1994 में एमडी पैथोलॉजी और 1997 में डीएनबी पैथोलॉजी किया था. 2000 से लेकर 2002 तक एम्स नई दिल्ली में औंकोपैथोलॉजी में दो साल की फेलोशिप और यूके की फैमर कील यूनिवर्सिटी से 2020-22 में हेल्थ प्रोफेशनल एजुकेशन में डिप्लोमा भी किया.
37 वर्षों की सेवा के दौरान कविता सहाय ने विभिन्न महत्वपूर्ण प्रशासनिक और स्टाफ नियुक्तियों पर काम किया है. इनमें बेस अस्पताल, दिल्ली कैंट में लैब मेडिसिन विभाग के एचओडी और प्रोफेसर, एएमसी में पैथोलॉजी विभाग की प्रोफेसर, आर्मी हॉस्पिटल (आर एंड आर) नई दिल्ली में लैब मेडिसिन विभाग की एचओडी और प्रोफेसर के रूप में वे तैनात रहीं.
मध्य कमान के जन संपर्क अधिकारी शांतनु प्रताप सिंह ने बताया कि एएमसी सेंटर एवं कॉलेज की कमांडेंट का पदभार छोड़ने से पहले लेफ्टिनेंट जनरल कविता सहाय ने आठ अक्टूबर को मेजर एलजे सिंह एसी ऑडिटोरियम में एक विशेष सैनिक सम्मेलन में आर्मी मेडिकल कोर सेंटर और कॉलेज के सभी अधिकारियों, नर्सिंग अधिकारियों, जूनियर कमीशंड अधिकारियों, जवानों और रंगरूटों को संबोधित किया.
इस दौरान लेफ्टिनेंट जनरल कविता सहाय ने आयोजित एक पारंपरिक 'बड़ाखाना' में एएमसी सेंटर और कॉलेज के पूरे रैंक के साथ दोपहर का भोजन किया. सैन्य परम्पराओं के अनुरूप जब कोई जनरल अफसर नई तैनाती पर जाता है तो अपना वर्तमान पदभार छोड़ने से पूर्व अपने सभी रैंकों के कर्मियों के साथ एक ही छत के नीचे पारंपरिक रूप से सामूहिक भोज यानी 'बड़ाखाना' में शामिल होता है.
बता दें कि लेफ्टिनेंट जनरल कविता सहाय भारतीय सशस्त्र बलों में तीन सितारा रैंक पर पदोन्नति होने वाले आठवीं महिला है और लेफ्टिनेंट जनरल का पद पाने वाली चौथी महिला हैं. वर्तमान में वे लखनऊ के आर्मी मेडिकल कोर्स सेंटर और कॉलेज में कमांडेंट के रूप में तैनात थीं.
ये भी पढ़ेंःबनारसी साहित्यकार बोले, UK के वंर्ड्सवर्थ की तरह मुंशी प्रेमचंद का गांव बने हैरिटेज विलेज